राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इन दिनों उत्तर प्रदेश के अमेठी में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटा हुआ है। संघ एक साथ यहां तकरीबन 300 से अधिक शाखाओं का आयोजन कर रहा है। आपको बता दें कि अमेठी साल 1980 से नेहरू-गांधी परिवार का चुनावी क्षेत्र रहा है। कांग्रेस पार्टी के लिए यहां की सीट सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। मगर संघ यहां जिस तरह से अपनी शाखाएं लगा रहा है, उससे जगजाहिर है कि वह संगठन का फैलाव करना चाहता है।

संघ अमेठी के अलावा रायबरेली में भी अपनी पैठ जमाने के प्रयास में लगा है। चूंकि इन दोनों ही निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को पटकने की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की चाहत काफी सालों पुरानी है। साल 2014 में अमेठी में संघ के सह सर कार्यवाहक और भाजपा-संघ के समन्वयक डॉक्टर कृष्णगोपाल का कार्यक्रम होने के बाद बीजेपी को रिकॉर्ड मत हासिल हुए थे।

अमेठी को संघ ने तीन जिलों और 300 से अधिक मंडलों में विभाजित कर रखा है। यहां के 45 मंडलों में कुल 145 शाखाओं का आयोजन होता है। स्वयंसेवकों से मुलाकात के लिए संघ ने एक व्यवस्था बना रखी है, जिसके अंतर्गत- मंडली कार्यक्रम (साप्ताहिक) और मिलन कार्यक्रम (मासिक) होते हैं। संघ के कई नामी और दिग्गज इन कार्यक्रमों का हिस्सा बनते हैं।

इतना ही नहीं, हर वर्ष अमेठी में प्राथमिक शिक्षा वर्ग कार्यक्रम भी होता है। संघ इसके जरिए नए स्वयंसेवकों को संगठन से जोड़ने का काम करता है। स्वयंसेवकों को उस दौरान लगभग सात दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है।

वहीं, साल 2014 में हुए लोकसभा के चुनावों से पहले अमेठी से ही केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी के लिए भी चुनावी जमीन तैयार की गई थी। बीजेपी ने राहुल गांधी के सामने उन्हें उतारा था। असर यह था कि महज 23 दिनों के चुनावी प्रचार के बाद ईरानी को लगभग तीन लाख वोट मिले थे।