शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने उत्तर प्रदेश के एक सरकारी अस्पताल को एक महिला को गलत खून चढ़ाने के मामले में उसे 14.95 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है जो बाद में चार बार गर्भवती हुई लेकिन उसका भ्रूण नहीं बच सका।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में अनियंत्रित अनैतिक कामकाज की वजह से जनता के स्वास्थ्य में दिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है और उन्हें इस तरह की गंभीर लापरवाही के बाद छोड़ा नहीं जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति जे एम मलिक की अध्यक्षता वाली आयोग की पीठ ने कहा कि यह एक गर्भवती महिला के जीवन के साथ खिलवाड़ था जिसे पूरी जिंदगी इस सजा को भुगतना होगा।
शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने सहारनपुर के एसबीडी अस्पताल को नीलम गुप्ता को 14,95,000 रुपए का भुगतान करने को कहा जिन्हें 1988 में पहले प्रसव के बाद अस्पताल में बी पॉजिटिव खून चढ़ा दिया गया जबकि उनका रक्त समूह बी निगेटिव था।
आयोग ने कहा कि अस्पताल की गल्ती की वजह से नीलम को इतनी बड़ी सजा भुगतनी पड़ी कि वह 1994 तक चार बार गर्भवती हुईं लेकिन प्रत्येक बार उनका भ्रूण नहीं बचा।
एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता आयोग के एक आदेश के खिलाफ डॉक्टर ए के मित्तल की अपील पर आदेश सुनाया। राज्य उपभोक्ता आयोग ने उन्हें रोगी के ब्लड गु्रप की गलत जांच के लिए दो लाख रुपए अदा करने को कहा था।
उपभोक्ता अदालत ने डॉ मित्तल को रोगी का गलत ब्लड गु्रप बताने के मामले में लापरवाह ठहराया और उन्हें 10,000 रुपए अदा करने को कहा।