उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार को अपना कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (Acting DGP) नियुक्त किया। उन्होंने विजय कुमार की जगह ली है जो कार्यवाहक डीजीपी थे। पिछले 20 महीनों में लगातार चौथी बार यूपी को कार्यवाहक डीजीपी मिला है। उत्तर प्रदेश के अलावा 6 अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यवाहक DGP हैं।
यह कार्रवाई योग्य अधिकारी उपलब्ध होने के बावजूद राज्य सरकारों द्वारा नियमित पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति नहीं करने की बढ़ती प्रवृत्ति का हिस्सा है। वर्तमान में, सात राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में एक कार्यवाहक डीजीपी है। ये नियुक्तियां आम तौर पर राज्य में किसी अन्य जिम्मेदारी वाले डीजी रैंक के अधिकारी को पुलिस प्रमुख पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपकर की जाती हैं।
इन राज्यों में भी हैं अस्थायी पुलिस प्रमुख
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, यूपी और पंजाब में लगभग एक साल या उससे अधिक समय से ऐसे अस्थायी डीजीपी हैं, तीन अन्य राज्यों, उत्तराखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने भी हाल ही में कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किए हैं।
इस तरह की कार्रवाई डीजीपी नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर पुलिस प्रमुखों की कोई अस्थायी या एड हॉक नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए। यूपीएससी के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि राज्यों को मौजूदा डीजीपी की सेवानिवृत्ति से छह महीने पहले आयोग को कम से कम तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के साथ योग्य अधिकारियों की एक सूची भेजनी होगी।
मई, 2022 से लगातार यूपी में तीन कार्यवाहक डीजीपी
यूपी का मामला खास है। राज्य को मई, 2022 से लगातार तीन कार्यवाहक डीजीपी मिल चुके हैं। बुधवार को राज्य को चौथा मिला। तत्कालीन डीजीपी, 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल को काम के प्रति रुचि की कमी के कारण हटाने के बाद 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजी नियुक्त किया गया। 31 मार्च, 2022 को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी राज कुमार विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजी बनाया गया था। 31 मई को सेवानिवृत्त होने पर विश्वकर्मा की जगह विजय कुमार को कार्यवाहक डीजी बनाया गया।
आंध्र प्रदेश में, वाईएसआरसीपी सरकार ने 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी कासिरेड्डी राजेंद्रनाथ रेड्डी को फरवरी 2023 में आंध्र के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में नियुक्त किया। तेलंगाना में चुनाव आयोग ने अंजनी कुमार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी के साथ फोटो खिंचवाने के चलते कार्यवाहक डीजी के पद से हटा दिया गया था। 3 दिसंबर, 2023 को 1990-बैच के आईपीएस अधिकारी रवि गुप्ता को तेलंगाना का कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया। नई रेड्डी सरकार ने इस प्रथा को जारी रखा और राज्य में सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गौतम को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया है।
पंजाब ने भी की अस्थायी नियुक्ति
पंजाब सरकार ने जुलाई 2022 में तत्कालीन डीजीपी 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी वीके भावरा के दो महीने की छुट्टी पर चले जाने के बाद 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी गौरव यादव को राज्य के डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दिया था। जब भावरा 2 सितंबर को वापस लौटे तो AAP सरकार ने उन्हें पंजाब पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष के रूप में स्थानांतरित कर दिया। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी इस तरह की नियुक्तियां की गईं।
केंद्र से शुरू हुआ कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त करने का चलन
कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त करने का चलन दरअसल केंद्र से शुरू हुआ। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में नियमित रूप से महीनों तक शीर्ष पदों पर रिक्तियां देखी गईं। आईटीबीपी के पूर्व प्रमुख एसएस देसवाल की कमान में एक समय तीन सेनाएं थीं। इसी तरह, पूर्व सीआरपीएफ प्रमुख एसएल थाओसेन, जो पिछले नवंबर में सेवानिवृत्त हुए थे उनके पास महीनों तक दो बलों का अतिरिक्त प्रभार था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी मई, 2021 और जून, 2022 के बीच एक साल से ज्यादा समय तक नियमित प्रमुख के बिना थी और तत्कालीन सीआरपीएफ प्रमुख कुलदीप सिंह एजेंसी के कार्यवाहक महानिदेशक के रूप में काम कर रहे थे।