जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना मुख्याल हुए आंतकी हमले को लेकर कुछ तथ्य सामने आए हैं। जानकारी के मुताबिक उरी में हमला करने वाले जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी अपने साथ हथियारों और गोला-बारूद के साथ एक मिशन प्लान भी लेकर आए थे जो कि पश्तो भाषा में था। पश्तो अफगानी भाषा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आतंकियों के पास से बरामद मैप से खुलासा हुआ है कि आंतकी निहत्थे सैनिकों को मारना चाहते थे। उनके निशाने पर मेडिकल यूनिट, प्रशासनिक भवन और ऑफिसर्स मेस था।
रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी प्रतिबंधित संगठन सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (SSP) से संबंध रखते थे जिन्होंने हाल ही में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर के अधीन काम करना शुरू किया है और वह खुद को “पैगंबर के रखवालों” कहते हैं। यह कैडर सीधे जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के अधीन काम करता है। हमले के दौरान आंतकियों ने प्रशासनिक ब्लॉक को निशाना बनाया था, जहां सैनिक फ्यूल टैंक से बैरल में डीजल भर रहे थे। आतंकियों ने तीन मिनट में 17 ग्रेनेड़ फेंके, जिससे डंप में आग लग गई और 13 जवानों की तुरंत मौत हो गई और 32 सैनिक घायल हुए।
गौरतलब है कि उरी में रविवार को चार आतंकवादियों ने हमला किया था, जिसमें 17 जवान मौके पर शहीद हो गए थे। दिल्ली के आर एंड आर हॉस्पिटल में भर्ती जवान की मौत के साथ शहीदों की संख्या 18 बढ़कर हो गई है। इस हमले से नाराज प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई के संकेत देते हुए देश को भरोसा दिलाया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। सोमवार को उरी हमले पर प्रधानमंत्री ने सरकारी आवास, 7 रेसकोर्स पर हाई लेवल मीटिंग की। मीटिंग में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, वित्त मंत्री अरुण जेटली, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल, आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। रिपोर्ट्स के मुताबिक मीटिंग में पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने का फैसला किया है। इससे पहले देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पाकिस्तान को एक ‘आतंकवादी देश’ करार देते हुए अलग-थलग किए जाने की बात कही थी। आर्मी ब्रिगेड हेडक्वार्ट्स पर हमला करने वाले आतंकवादी बहुत अधिक प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस थे।
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