अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उर्दू मीडिया ने निराशा जाहिर की है। शनिवार को अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उर्दू से जुड़े तमाम अखबारों ने मुसलमानों के भीतर निराशा का जिक्र करते हुए उनसे संयम बरतने की अपील की। इस दौरान यह भी सवाल उठाए कि जब सर्वोच्च अदालत ने माना कि विवादित स्थल पर एक मस्जिद थी और उसे अवैध ढंग से ध्वस्त किया गया, तो फैसला मस्जिद के पक्ष में क्यों नहीं आया?

सबसे बड़े उर्दू अखबार ‘इंकलाब’ ने ‘एक लंबे इंतजार के बाद’ नामक शीर्षक से लिखे अपने संपादकीय में लिखा कि जो फैसला आया है, उसे स्वीकार करने का करने का ही एक मात्र विकल्प था। लेकिन अब उम्मीद की आखिरी लौ भी अब बुझ गई है। अखबार ने लिखा कि निराशा की भावना खत्म नहीं होगी। इसमें सवालिया लहजे में कहा गया है, “यह एकमात्र बिंदु है जो समझ से परे है। यदि मस्जिद वहां थी, तो फैसला इसके पक्ष में क्यों नहीं आया?”

इंकलाब लिखता है, “फैसला सबूतों के बजाय परिस्थितियों पर आधारित है।” अखबार ने मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने पर भी सवाल उठाए हैं। इसमें कहा गया है,”अदालत ने फैसला सुनाया है कि मुसलमानों को भी नुकसान के मुआवजे के रूप में जमीन दिए जाने का अधिकार है, (लेकिन) समय और स्थान तय नहीं किया गया है। जबकि इसके विपरीत मंदिर बनाने के लिए सरकार ने तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाने को कहा है। असंतोष इस बात का है कि 6 दिसंबर 1992 तक लोगों को दिखाई देने वाली मस्जिद के लिए कोई ठोस और विशेष निर्णय नहीं लिया गया।”

वहीं, ‘हमारा समाज’ ने अपने मुख्य पन्ने पर लिखा है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने बाबरी मस्जिद को ढहाये जाने की घटना को कानून का उल्लंघन मानने के बावजूद अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। अखबार ने कहा कि फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद हिंदू समूहों के सदस्यों ने अदालत के बाहर नारे लगाने शुरू कर दिए और केंद्र तथा शीर्ष अदालत के निर्देशों के बावजूद अयोध्या में समारोह आयोजित किए गए।

‘खबर रोजनामा’ ने कुछ मुस्लिम नेताओं के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित किया है, जिसमे नेताओं ने कहा है कि भले असंतोष और निराशा हो लेकिन फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। फैसले का कुछ हिस्सा हमारे खिलाफ है और कुछ पक्ष में भी है। इस रिपोर्ट के जरिए बताया गया है कि मुस्लिम नेताओं ने फैसले का स्वागत करते हुए लोगों शांति बनाए रखने की अपील की है।

‘मेरा वतन’ नाम के अखबार ने एक शीर्षक दिया ‘बाबरी मस्जिद के अंदर भगवान राम का जन्म’। फ्रंट पेज पर इस शीर्षक के तहत लिखा कि कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गुंबद के नीचे राम जन्मभूमि का फैसला दिया है। अखबार ने मुसलमानों से शांति बनाए रखने की अपील की।