पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनाव को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) एवं कांग्रेस के राज्य में मजबूती से उभरने के कारण भाजपा के समक्ष मुख्य विपक्ष की अपनी स्थिति को बचाए रखने की चुनौती है। भाजपा की राज्य इकाई के नेताओं का कहना है कि भले ही उनकी पार्टी पांच साल पहले की तुलना में संगठन के मामले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए बेहतर स्थिति में है, लेकिन कांग्रेस-माकपा गठबंधन के फिर से मजबूत होने से भाजपा के मत फीसद में गिरावट दर्ज की गई है।

राज्य की 65 फीसद आबादी को जमीनी स्तर पर नियंत्रित करने वाली पंचायती राज संस्थाओं के ग्रामीण चुनाव भी भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले बूथ स्तर पर अपनी संगठनात्मक तैयारियों का आकलन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल की 42 लोकसभा सीट में से 35 सीट जीतने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने कहा, ‘यद्यपि हम 2018 की तुलना में संगठनात्मक रूप से बहुत बेहतर स्थिति में हैं, यह भी सच है कि पिछले पंचायत चुनावों के विपरीत, इस बार हम तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से लड़ने वाले अकेले नहीं हैं। पिछले कुछ स्थानीय चुनावों और उपचुनावों के अनुसार माकपा-कांग्रेस गठबंधन ने अपनी खोई हुई जमीन बहुत हद तक वापस हासिल कर ली है।’

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘इस बार का ग्रामीण चुनाव हमारे बूथ-स्तरीय संगठन का आकलन करने और राज्य में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में हमारी स्थिति को बनाए रखने के बारे में भी है।’राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आठ जुलाई को होने हैं। राज्य के लगभग 5.67 करोड़ मतदाता आठ जुलाई को जिला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों में लगभग 74,000 सीटों के लिए प्रतिनिधियों का चयन करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि टीएमसी की अतिवादी रणनीति के बावजूद, उन्हें विश्वास है कि भाजपा आगामी पंचायत चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी। सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘हालांकि, राज्य प्रशासन के प्रभाव के कारण पंचायत चुनाव के नतीजे जमीन पर स्पष्ट तस्वीर नहीं दिखा सकते हैं, लेकिन यह हमारे लिए अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने और 2024 के चुनावों से पहले जनता तक पहुंचने का एक अभ्यास मैच होगा।’

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने कहा, ‘यद्यपि हम 2018 की तुलना में संगठनात्मक रूप से बहुत बेहतर स्थिति में हैं, यह भी सच है कि पिछले पंचायत चुनावों के विपरीत, इस बार हम तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से लड़ने वाले अकेले नहीं हैं। पिछले कुछ स्थानीय चुनावों और उपचुनावों के अनुसार माकपा-कांग्रेस गठबंधन ने अपनी खोई हुई जमीन बहुत हद तक वापस हासिल कर ली है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि टीएमसी की अतिवादी रणनीति के बावजूद, उन्हें विश्वास है कि भाजपा आगामी पंचायत चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी। सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘हालांकि, राज्य प्रशासन के प्रभाव के कारण पंचायत चुनाव के नतीजे जमीन पर स्पष्ट तस्वीर नहीं दिखा सकते हैं, लेकिन यह हमारे लिए अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने और 2024 के चुनावों से पहले जनता तक पहुंचने का एक अभ्यास मैच होगा।

राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आठ जुलाई को होने हैं। राज्य के लगभग 5.67 करोड़ मतदाता आठ जुलाई को जिला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों में लगभग 74,000 सीटों के लिए प्रतिनिधियों का चयन करने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।