CAA NRC Protest: कांग्रेस नेता और सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर (44), सेवानिवृत्त IPS अधिकारी एसआर दारापुरी (77) और एक्टिविस्ट मोहम्मद शोएब (73) उन 28 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 63 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करने के लिए कहा गया है। यह आदेश पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ के हजरतगंज इलाके में परिवर्तन चौराहे पर सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने को लेकर जारी किया गया है।
इस बाबत शोएब और दारापुरी दावा करते हैं कि जब हिंसा हुई थी, तब वे हाउस अरेस्ट थे और यह वसूली आदेश “आधारहीन” है। सदफ और अन्य एक्टिविस्टों ने पहले कहा था कि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जो यह दिखाते हैं कि वे इस हिंसा में शामिल थे।
सोमवार (17 फरवरी) को लखनऊ के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (पूर्व) के पी सिंह ने 30 दिनों के भीतर राशि की वसूली के लिए एक आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि पैसा जमा करने में विफल रहने पर प्रशासन उनकी संपत्तियों को जब्त करने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर देगा।
परिवर्तन चौक पर बुई हिंसा के मामले में पुलिस ने कुल 46 लोगों पर मामला दर्ज किया था। पुलिस ने शुरुआत में हजरतगंज पुलिस स्टेशन में 42 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और बाद में दावा किया था कि जांच के दौरान दारापुरी, शोएब, दीपक कबीर और सदफ जाफर की भूमिका सामने आई थी। हिंसा के बाद वे सभी गिरफ्तार किए गए और जेल भेजे गए।
इसके बाद पुलिस ने एक रिपोर्ट भेजी और दावा किया कि यह पूरी तरह सबूतों पर आधारित है। इस रिपोर्ट के आधार पर लखनऊ जिला प्रशासन ने सभी 46 लोगों को नोटिस जारी किया और पूछा कि वे इस बात का जवाब दें कि संपत्ति नुकसान की भरपाई के लिए उनसे वसूली क्यों नहीं की जानी चाहिए?
एडीएम (पूर्वी) केपी सिंह ने कहा, “नई कमिश्नरेट सिस्टम के तहत पुलिस के पास मजिस्ट्रीयल पॉवर है, इसलिए उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि अभियुक्तों से वसूली की जाए।”
शोएब ने कहा, “जब हिंसक घटना हुई, तब मैं हाउस अरेस्ट था। पुलिस मुझे घर से ले गए और इस केस में मुझे शामिल कर दिया। यदि जिला प्रशासन मेरी संपत्ति को जब्त करने की कोशिश करता है तो मैं हाईकोर्ट जाऊंगा।”
दारापुरी कहते हैं, “मैंने पहले के नोटिस के खिलाफ जवाब दाखिल किया था कि जब घटना हुआ थी, उस समय मैं हाउस अरेस्ट था। इसलिए मैं घटना में शामिल नहीं हो सकता हूं। जिला प्रशासन ने अब तक मुझे सूचित नहीं किया है कि वसूली पर अंतिम आदेश क्या पारित किया गया है।” सदफ जफर ने कहा कि वह कोर्ट जाएंगी।

