UP Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी को तगड़ा फायदा मिला था। उस दौरान ही उन्होंने PDA का नारा दिया था जिसमें पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक वोटर्स को लामबंद करने की कोशिश की गई थी। अखिलेश अपने दलित वोट बैंक में सबसे ज्यादा विस्तार करना चाहते हैं, और उनकी इस मुहिम को बड़ा फायदा हुआ है क्योंकि बीएसपी के संस्थापक सदस्य दद्दू प्रसाद सपा में चले गए हैं।
समाजवादी पार्टी पूरे राज्य में बीआर अंबेडकर की जयंती के मौके पर एक हफ्ते के लिए स्वाभिमान सम्मान समारोह आयोजन कर रही है। इसके लिए सभी जिले की ईकाईयां भी जुटी हुई हैं। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर दलित समुदाय के प्रमुख सदस्यों तक पहुंचना और उन्हें सम्मानित करना है। समारोह का समन्वय पार्टी की समाजवादी बाबा साहेब अंबेडकर वाहिनी और अनुसूचित जाति (एससी) विंग द्वारा किया जा रहा है।
दलित वोट बैंक पर अखिलेश की नजर
समाजवादी बाबा साहेब अंबेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल भारती के अनुसार, संविधान पर सेमिनार और इसे बचाने की आवश्यकता और पीडीए की भूमिका पर चर्चा समारोह का हिस्सा होगी। ये आयोजन पार्टी कार्यालयों और सपा के जनप्रतिनिधियों के आवासों पर आयोजित होंगे। बता दें कि दलितों को बीएसपी का मुख्य वोट आधार माना जाता है और उत्तर प्रदेश की आबादी में उनकी हिस्सेदारी करीब 21% है। राज्य में करीब 55% दलित जाटव समुदाय से आते हैं, जो परंपरागत रूप से मायावती के पीछे मजबूती से खड़े माने जाते हैं।
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दद्दू प्रसाद क्यों हैं सपा के लिए जरूरी?
समाजवादी पार्टी के नेताओं का मानना है दद्दू प्रसाद को पार्टी में लाने से पार्टी की संभावनाओं को काफी बढ़ावा मिलेगा। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के पास पासी समाज के नेता के तौर पर फैजाबाद से लोकसभा सांसद अवधेश प्रसाद हैं लेकिन दद्दू प्रसाद का शामिल होना महत्वपूर्ण है। सपा नेता ने कहा कि कई बीएसपी नेता दूसरे दलों में चले गए लेकिन दद्दू प्रसाद ने अपने तरीके से आंदोलन को आगे बढ़ाया। हमें उम्मीद है कि उनके शामिल होने से हमें पूर्व उत्तर प्रदेश में ज्यादा बढ़त मिल सकेगी।
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सपा को कैसे मिलेगा फायदा?
सपा नेताओं का एक ग्रुप यह भी मानता है कि दलित समुदाय को अपने पक्ष में करने की पार्टी की कोशिशें लंबे समय से चली आ रही इस धारणा को खत्म करने में मदद करेंगी कि यादव और दलित एक साथ नहीं सकते। इतना ही नहीं, पार्टी का पक्ष दलितों के बीच ज्यादा मजबूत होगा।
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सपा के एक नेता ने यह भी कहा कि कांग्रेस दावा कर रही है कि पिछले साल के लोकसभा चुनावों में इंडिया ब्लॉक का प्रदर्शन अचछा रहा था, क्योंकि उसने दलितों का वोट विपक्ष की तरफ लाने में अहम भूमिका निभाई थी। यह उम्मीद कर रही है कि विधानसभा चुनावों में अधिक सीटों के लिए सौदेबाजी करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
बता दें कि पिछले साल के लोकसभा चुनावों में सपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया था, जिसमें उसने राज्य की 80 सीटों में से 37 सीटें जीती थीं, जबकि सहयोगी कांग्रेस ने छह सीटें जीती थीं। हालांकि, बाद के विधानसभा उपचुनावों से पहले सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन में खटास आ गई, जहां सपा ने सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल दो सीटें ही जीत पाई।