बुलंदशहर में हुई हिंसा और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत पर उत्तर प्रदेश की सियासत गर्म हो उठी है। विपक्ष इस घटना को लेकर सरकार पर हमलावर है। वहीं पुलिस ने भी मामले में ​ढिलाई न बरतते हुए एफआईआर दर्ज की है। यूपी पुलिस के उपनिरीक्षक सुभाष चंद्र की ओर से दर्ज एफआईआर में कुल 27 लोगों को नामजद किया गया है। इसके अलावा 50-60 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। मामले के मुख्य आरोपी स्थानीय हिंदूवादी नेता योगेश राज को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस की एफआईआर में उस दिन के पूरे घटनाक्रम के बारे में भी बताया गया है।

पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, दिनांक 3 दिसंबर को बुलंदशहर जिले के स्याना थाना क्षेत्र के अन्तर्गत महाव के जंगल में गोकशी की घटना की सूचना मिली थी। सूचना मिलने पर पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार, उपनिरीक्षक सुभाष चंद्र, हेड कांस्टेबल शीशराम सिंह, हेड कांस्टेबल वीरेंद्र सिंह, कांस्टेबल अमीर आलम, कांस्टेबल शैलेंद्र, कांस्टेबल जितेंद्र कुमार, कांस्टेबल प्रेमपाल, होमगार्ड दिनेश सिंह के साथ मौके पर गए थे। पुलिस के पास टाटा सूमो यूपी 13 एजी 0452 थी, जिसे हेडकांस्टेबल रामआसरे चला रहा था।

एफआईआर में बताया गया कि जब पुलिस महाव गांव स्थित घटनास्थल पर पहुंची तो भीड़ लगी हुई थी। भीड़ में मुख्य आरोपी योगेश राज समेत 27 नामजद और 50-60 लोग, जिनमें महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल थे। मौके पर उपस्थित भीड़ ने पुलिस को देखते ही विरोध शुरू कर दिया। प्रभारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने लोगों को समझाने की कोशिश की। लेकिन भीड़ ने उन पर हमला कर दिया।

पथराव के बाद योगेश राज और अन्य लोगों के नेतृत्व में उत्पाती भीड़ ने दोपहर करीब 1.35 बजे चिंगरावठी चौकी के सामने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान एसडीएम और क्षेत्राधिकारी स्याना लगातार उग्र भीड़ को माइक पर समझाते रहे। उन्हें स्याना कोतवाली चलकर एफआईआर की कॉपी लेने के लिए भी कहा गया। लेकिन नामजद आरोपी उन्हें भड़काते रहे। बाद में ग्रामीणों ने एकजुट होकर पुलिस पर हमला बोल दिया।

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बुलंदशहर हिंसा कांड का मुख्‍य आरोपी योगेश राज।

एफआईआर के मुताबिक, ग्रामीणों ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को गोली मार दी। इसके बाद भीड़ उनकी निजी लाइसेंसी पिस्टल, तीन मोबाइल फोन भी छीन ले गई। ग्रामीणों ने वायरलैस सेट को तोड़ दिया और चौकी में जमकर तोड़फोड़ की। इसके बाद उत्पाती ग्रामीणों ने थाने में खड़े सरकारी और​ निजी वाहनों में आग लगा दी। इसके बाद मालखाने को भी फूंक दिया गया। ऐसी स्थिति देखकर क्षेत्राधिकारी स्याना जब चौकी के कमरे में बचने के लिए घुसे तो भीड़ ने मारो-मारो का शोर करते हुए उन्हें कमरे में बंद कर दिया और चौकी में आग लगा दी।

इस तस्वीर पर क्लिक कर देखें कैसे थे बुलंदशहर हिंसा के दौरान हालात।

हालात बिगड़ते देखकर घायल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को पुलिस सरकारी वाहन में लेकर अस्पताल के लिए जाने की कोशिश में जुट गई। लेकिन उग्र भीड़ ने भयंकर हमला कर दिया। जबकि सामने स्थित कॉलोनी के लोगों ने अपने घरों के खिड़की-दरवाजे भी बंद कर लिए। कमरे में बंद क्षेत्राधिकारी स्याना ने फोन करके अतिरिक्त फोर्स की मांग की। इसके बाद कई थानों के फोर्स ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़कर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। इसके बाद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को सीएचसी लखावटी (औरंगाबाद) ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

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बुलंदशहर कांड का मुख्‍य आरोपी योगेश राज कई हिंदूवादी संगठनों से जुड़ा हुआ बताया जाता है।

बता दें कि सोमवार को बुलंदशहर के स्याना में एक ईंख के खेत में हुई गोकशी की अफवाह फैली। जिसके बाद कई गांवों के लोग वहां इकट्ठा हो गए और उन्होंने गोवंश के अवशेषों को ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर हाइवे जाम करने की कोशिश की। इस पर मौके पर पहुंची पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को समझाने का प्रयास किया। लेकिन स्थिति नहीं संभल पायी और गुस्साए लोगों ने पथराव शुरु कर दिया। इस पर पुलिस ने भीड़ पर कथित तौर पर लाठीचार्ज कर दिया। जिससे स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ गई।

स्याना हिंसा में हुई एफआईआर की कॉपी।

बताया जा रहा है कि हिंसा के दौरान एक युवक गोली लगने से घायल हो गया। जिसकी बाद में मौत हो गई। इसी दौरान भीड़ ने पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह पर हमला कर दिया। घायल अवस्था में सुबोध कुमार को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उनकी मौत गोली लगने से हुई। गोली उनकी भौंह से होते हुए सिर में लगी। उल्लेखनीय है कि साल 2015 में दादरी में मोहम्मद अखलाक की गाय का मांस खाने के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। स्याना हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ही उस मामले में पहले जांच अधिकारी थे।

सीएम का आर्थिक मदद का ऐलानः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंस्पेक्टर की हत्या पर गहरा दुख जताया है और शहीद इंस्पेक्टर के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। इसमें से 40 लाख रुपये शहीद इंस्पेक्टर की पत्नी को और 10 लाख शहीद इंस्पेक्टर के माता- पिता को दिए जाएंगे। इसके अलावा सरकार ने दिवंगत इंस्पेक्टर के आश्रित परिवार को असाधारण पेंशन तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने दुख की इस परिवार को सांत्वना देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार उनके साथ है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि जल्द से जल्द घटना की जांच कर दोषियों को सजा दी जाए।