भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार की सुबह पूर्वांचल की तीन सीटों, वाराणसी, जौनपुर और मिर्जापुर सीटों पर विधान परिषद चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। बता दें कि 21 मार्च को एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख थी। जौनपुर सीट से भाजपा ने मौजूदा एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंसू को अपना उम्मीदवार बनाया है।
गौरतलब है कि बृजेश सिंह पूर्वांचल के चर्चित बाहुबली धनंजय सिंह के करीबी माने जाते हैं। कई मौकों पर वो धनंजय सिंह के साथ दिखाई दिए हैं। इससे पहले प्रिंसू सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे और नामांकन पत्र भी ले लिया था। लेकिन नामांकन के आखिरी दिन भाजपा ने उनके नाम पर मुहर लगा दी।
वहीं भाजपा की तरफ से नाम फाइनल होने पर सोमवार सुबह बृजेश कुमार सिंह उर्फ प्रिंसू के कार्यालाय और आवास पर भाजपा समर्थित बैनर, पोस्टर और झंडे लगाए जाने लगे। हालांकि इस खबर को लेकर जौनपुर में राजनीतिक पारा चढ़ गया है। कहा जा रहा है कि प्रिंसू को प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद विपक्षी दलों के साथ ही भाजपा के भी कुछ नेताओं में बेचैनी है।
यूपी के विधान परिषद चुनाव के लिए 15 मार्च से 21 मार्च तक नामांकन की प्रक्रिया होगी। इन सीटों पर 9 अप्रैल को मतदान संपन्न होगा। वहीं परिणाम 12 अप्रैल को आएंगे।
दरअसल प्रिंसू सिंह धनंजय सिंह के लिए बीते विधानसभा चुनाव में काफी मशक्कत करते नजर आए थे। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर भाजपा का धनंजय सिंह को लेकर कैसा रुख है।
इससे पहले प्रिंसू बहुजन समाज पार्टी में रहे। 2016 में हुए एमएलसी चुनाव में बृजेश सिंह ने बसपा उम्मीदवार के तौर पर भाजपा के सतीश कुमार सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में बृजेश सिंह को 1765 वोट मिले थे। हालांकि आगे चलकर बृजेश सिंह प्रिंसू ने बसपा छोड़ दिया था। माना जाता है कि इस क्षेत्र में धनंजय सिंह का राजनीतिक प्रभाव काफी अधिक है।
धनंजय सिंह: धनंजय सिंह की दबंग नेता की है और उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2002 से की। उस दौरान उन्होंने रारी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता और यह 2007 में जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर विधानसभा पहुंचे। वहीं 2009 में धनंजय सिंह ने बसपा के टिकट पर जौनपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
हालांकि पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप में मायावती ने उन्हें 2011 में पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद उनके राजनीतिक जीवन में ग्रहण लगना शुरु हुआ। 2012 के चुनाव में धनंजय सिंह ने अपनी पूर्व पत्नी डॉक्टर जागृति सिंह को निर्दलीय उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा लेकिन वो जीत नहीं सकीं।
उन्होंने खुद 2014 में लोकसभा और 2017 में विधानसभा में भी जौनपुर से किस्मत आजमाई लेकिन हर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने मल्हनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन वो सपा के लकी यादव से हार गये।