यूपी की राजनीति में बसपा चीफ मायावती ने फिर से धमक देनी शुरू कर दी है। आजमगढ़ लोकसभा सीट के उपचुनाव में उन्होंने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली पर दांव खेला है। उनकी उम्मीदवारी का ऐलान आज कर दिया गया। गुड्डू मुस्लिम हैं और जाहिर है कि मुस्लिम वोटों को अखिलेश से दूर करने के लिए वो ये दांव खेल रही हैं। खास बात है कि दूसरी तरफ रामपुर उप चुनाव में बसपा ने उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है। ये आजम की तरफ उनका सॉफ्ट कार्नर है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले गु्ड्डू जमाली ने बसपा को बड़ा झटका दिया और AIMIM में शामिल हो गए। ओवैसी ने उन्हें मुबारकपुर से टिकट भी दिया। लेकिन वो हार गए। गुड्डू जमाली का बसपा छोड़ना मायावती के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। 2021 में जमाली ने कहा था कि वो पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करते हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्हें ऐसा लगता है कि मायावती संतुष्ट नहीं हैं। वो पार्टी पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहते। हालांकि असेंबली चुनाव में हार के बाद वो फिर से बसपा में आ गए।

आजमगढ़ सपा का गढ़ कहा जाता है। गुड्डू आजमगढ़ से ही आते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में गुड्डू जमाली ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को कड़ी टक्कर दी थी। मुलायम सिंह यादव ने भाजपा के कैंडिडेट रमाकांत यादव, बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली और काग्रेंस के उम्मीदवार अरविंद कुमार जायसवाल को हराया था। हालांकि सपा नेताओं को जमाली की वजह से मुस्लिम वोटबैंक में सेंध का डर था।

मुलायम सिंह यादव ने इस चुनाव में 3 लाख 40 हजार वोट पाकर जीत हासिल की। भाजपा के प्रत्याशी रमाकांत यादव ने 2 लाख 77 हजार वोट हासिल किए जबकि बसपा के गुड्डू जमाली 2 लाख 66 हजार 528 वोट लेकर तीसरे पायदान पर रहे थे। चुनाव में सपा को 35.43 फीसदी वोट हासिल हुए। भाजपा को 28.85 व जमाली को 27.75 फीसदी वोट मिले थे।

जमाली बसपा से दो बार विधायक रह चुके हैं। मायावती ने उन्हें विधानमंडल दल का नेता भी बनाया गया था। बसपा से निष्कासन के बाद विधानसभा चुनाव में उनके सपा का दामन थामने की अटकले थीं। लेकिन अंत में उन्होंने ओवैसी की पार्टी का दामन थामा। वो मुबारकपुर से विधानसभा चुनाव लड़े पर तीसरे स्थान पर जा पहुंचे थे। बसपा से निष्कासन के बाद भी जमाली ने मायावती के खिलाफ कुछ नहीं बोला। माना जाता है कि ये बात ही उनके बसपा में वापसी का कारण बनी।