अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ताधारी समाजवादी सरकार ने अपनी महिला विंग को आदेश दिया है कि वे पार्टी से ‘हमदर्दी’ रखने वाली राज्य के शहरी क्षेत्रों की कम से कम एक लाख महिलाओं तक पहुंचने की कोशिश करें। इन महिलाओं का समाजवादी पार्टी का सक्रिय सदस्य होना जरूरी नहीं है, लेकिन महिला विंग को उन्हें पार्टी के लिए वोट करने के लिए उत्साहित करना है। अभी तक समाजवादी पार्टी की महिला विंग मुख्य यूनिट के साए में काम करती रही है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने यह कदम अपनी महिला विरोधी छवि खत्म करने के लिए किया है।
समाजवादी पार्टी की महिला विंग की स्टेट प्रेसिडेंट श्वेता सिंह ने कहा, ”बड़े पैमाने पर उन महिलाओं तक पहुंचने के लिए कदम उठाया गया है जिनका झुकाव समाजवादी पार्टी की ओर तो है, लेकिन वे पार्टी से सीधे तौर पर नहीं जुड़ी हैं। हम उनसे निजी तौर पर मिलेंगे और उनको उत्साहित करेंगे। वे महिलाएं हमारी हमदर्द के तौर पर काम करेंगी।” बता दें कि शहरी इलाकों में बीजेपी का महिलाओं पर ज्यादा प्रभाव माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी बीजेपी के इसी किले में सेंध लगाना चाहती है। श्वेता सिंह ने कहा, ”हमारी कोशिश यह है कि हम एक लाख घरों के किचन तक रास्ते बनाएं। महिलाएं राज्य में कुल वोटरों की आधी संख्या में हैं। अगर एक महिला हमारी हमदर्द बनती है तो वो अपने परिवार को भी प्रभावित करेगी। वह एक साइलेंट वोटर के तौर पर काम करेगी। वे हमें सक्रिय सदस्यों के तौर पर ज्वाइन कर सकती हैं या हमारी हमदर्द बन सकती हैं। हमारी ग्रामीण इलाकों में बहुत मजबूत स्थिति है। इस मिशन के जरिए शहरी इलाकों में आए गैप को पूरा करने की कोशिश की जाएगी।”
श्वेता सिंह ने कहा, ”हम महिलाओं से उनके घर में मिलेंगे। हम उन्हें हमारी सरकार की ओर से महिलाओं, बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए चलाए जा रही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताएंगे। ऐसी कई सारी योजनाएं हैं, जिनसे महिलाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है, लेकिन उनका प्रचार नहीं हुआ है।” समाजवादी पार्टी महिलाओं के बीच छपा हुआ मटीरियल बांटेगी, जिस पर सीएम अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल की फोटो होगी। हर जिले से कम से कम 1 हजार महिलाओं को जोड़ने की योजना है। शहरी क्षेत्रों के लिए यह लक्ष्य 2000 का होगा। हर जिले में स्थित सपा के दफ्तर पार्टी से हमदर्दी रखने वाली इन महिलाओं का डेटाबेस तैयार करेगी। इस डेटाबेस को राज्य यूनिट को सौंपा जाएगा, जो एसएमएस और फोन कॉल्स के जरिए इनके संपर्क में रहेगा।