उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अभी तक मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर केशव प्रसाद मौर्य, स्मृति ईरानी, वरुण गांधी और योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज नेताओं के नाम चल रहे हैं। हालांकि इस सवाल पर भाजपा नेताओं का कहना है कि फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा। कई लोगों का कहना है कि पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे ही मैदान में उतरेगी। इसी बीच खबरें आ रहीं हैं और अटकलें हैं कि विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज को सीएम पद का चेहरा बनाया जा सकता है। हालांकि इस बारे में अभी अंदरखाने ही चर्चा है। लेकिन सुषमा को अगर यूपी का सीएम बनाया जाता है तो भाजपा का यह मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है।
कद्दावर नेता : सुषमा स्वराज भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। इसी के चलते उन्हें विदेश मंत्रालय का पद मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके काम से काफी खुश हैं। भाजपा के विपक्ष में रहने के दौरान वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर थीं। वे हरियाणा की रहने वाली हैं लेकिन सांसद मध्य प्रदेश के विदिशा से है। पार्टी में सुषमा का काफी सम्मान है। वे भाजपा से जुड़ने वाली वे शुरुआती महिला नेताओं में से एक हैं। पूरे देश में उनकी पहचान है।
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संघ का समर्थन: सुषमा का नाम अगर सीएम पद के लिए आगे किया जाता है तो पार्टी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन मिलेगा। सुषमा के पिता आरएसएस के सदस्य थे। उनका खुद का राजनीतिक कॅरियर भी संघ की छात्र विंग एबीवीपी के साथ शुरू हुआ था। जेपी आंदोलन में भी वह शामिल रही थीं। सुषमा को उम्मीदवार बनाए जाने पर संघ पूरे जोश के साथ भाजपा के पक्ष में प्रचार के लिए उतर सकता है।
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देश व्यापी छवि: सुषमा स्वराज उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिनकी पूरे देश में पहचान हैं। वे हरियाणा से हैं। सबसे कम उम्र में मंत्री बनने वाली नेताओं में से एक सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। साथ ही वे मध्य प्रदेश से दो बार सांसद है। 1999 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कर्नाटक के बेल्लारी से आम चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन जोखिम लेने से सुषमा घबराती नहीं है। इस वजह से यूपी में भी वह भाजपा की नैया पार लगा सकती है।
केंद्र में कमजोर नहीं होगी पॉजीशन : अगर सुषमा को सीएम पद का उम्मीदवार बनाने के बाद भी भाजपा को यूपी में पटखनी मिलती है तो भी उनकी छवि को नुकसान नहीं होगा। क्योंकि वे वहां पर बाहरी नेता के रूप में जाएंगी। केंद्र में उनका रुतबा कम नहीं होगा। कैबिनेट मंत्री का उनका पद बरकरार रहेगा। ऐसा मामला राजनाथ सिंह के साथ नहीं हैं। अगर राजनाथ को आगे कर भाजपा चुनाव हार जाती है तो उनकी छवि को आघात पहुंचेगा। यूपी उनका घर है, इस वजह से वहां उनके नेतृत्व में हार मिलने पर राजनाथ का कद घटेगा।
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महिला चेहरा: सुषमा को आगे कर भाजपा न केवल महिलाओं को अपने पक्ष में कर सकती है। साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती का भी सामना कर सकेगी। भाजपा ने यूपी चुनावों में महिलाओं और दलितों को लुभाने की योजना बनाई है। इस योजना में सुषमा बिलकुल फिट बैठती हैं।
बेदाग और साफ: सुषमा के पक्ष में एक बात यह भी है कि उनकी छवि बेदाग है। उनका नाम किसी घोटाले या दंगों में नहीं है। भड़काऊ बयान देने या साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण जैसे मामलों से भी वह दूर है। सुषमा के जरिए भाजपा यह संदेश दे सकती है कि वह विकास के नाम पर ही यह चुनाव लड़ रही है। इस तरह से वह संघ को साथ रखकर भी मुस्लिम मतों को लुभा सकती हैं। विदेश मंत्री के रूप में सुषमा का काम भी वोट बटोर सकता है। हालांकि ललित मोदी को मदद के चलते सुषमा पर सवाल उठे हैं लेकिन वो आरोप यूपी चुनाव में मुद्दा नहीं बन पाएगा।
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