सीएम योगी आदित्यनाथ की मीडिया सेल में काम करने वाले 28 वर्षीय पार्थ श्रीवास्तव ने बुधवार को खुदकुशी कर ली। पार्थ का एक सुसाइड नोट और सोशल मीडिया पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। इसमें सीएम को टैग करते हुए पार्थ ने लिखा, ‘मेरी आत्महत्या एक कत्ल है। हालांकि अब पार्थ के सोशल मीडिया अकाउंट्स से ये सुसाइड नोट गायब है।
उधर, पूर्व आईएएस ने सूर्य प्रताप सिंह ने सूचना मंत्रालय पर गड़बड़ी का आरोप लगाया है। अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा- यह सिर्फ बच्चे के शोषण का नहीं, गैरकानूनी ढंग से मान्यता देने का केस है। पार्थ के सुसाइड लेटर की बुनियाद पर तत्काल नामजद मुक़दमा दर्ज किया जाए। उनका कहना है कि फर्ज़ी ढंग से IT सेल के लोगों को मान्यता प्राप्त पत्रकार बनाने पर सूचना विभाग के सभी अधिकारी सस्पेंड हों।

उन्होंने सीएम को टैग कर लिखा- मुख्यमंत्री जी यह आपकी नाक के नीचे क्या हो रहा है? अब IT सेल के कर्मचारियों को ग़ैरकानूनी ढंग से मान्यता प्राप्त पत्रकार बनाया जाएगा और यह बच्चों का शोषण कर उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर करेंगे? अब तक FIR क्यों नहीं हुई इस प्रकरण में?
मुख्यमंत्री @myogiadityanath जी यह आपकी नाक के नीचे क्या हो रहा है?
अब IT सेल के कर्मचारियों को ग़ैरकानूनी ढंग से ‘मान्यता प्राप्त’ पत्रकार बनाया जाएगा?
और यह बच्चों का शोषण कर उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर करेंगे?
अब तक FIR क्यूँ नहीं हुई इस प्रकरण में? @lkopolice @Uppolice
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) May 20, 2021
मामला अब गंभीर हो गया है।
जिन दो लोगों के नाम सुसाइड लेटर में हैं ‘पुष्पेंद्र सिंह और प्रणय सिंह’ वह दोनों किसी ‘रोज़ाना मुज़फ़्फ़रनगर’ अख़बार के ‘संवाददाता’ हैं और मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं।
सोशल मीडिया टीम के लोगों को मान्यता कैसे दी गयी?
यह सरासर गैरक़ानूनी है।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) May 20, 2021
ऐसी बेशर्मी की बच्चे द्वारा ट्वीट किया गया सुसाइड नोट तक डिलीट कर दिया गया?
ऐसा किसने किया? क्या छिपाना चाहते थे ये लोग?
मुख्यमंत्री @myogiadityanath जी ये आपके बच्चे हैं, जो आपके कहने पर दिन रात हमें गालियाँ देते हैं, आज उनमें से एक ने तंग आकर आत्महत्या कर ली है। न्याय करिए https://t.co/gfhy6qdEbc
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) May 20, 2021
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा- मामला अब गंभीर हो गया है। जिन दो लोगों के नाम सुसाइड लेटर में हैं पुष्पेंद्र सिंह और प्रणय सिंह। वह दोनों किसी रोज़ाना मुज़फ़्फ़रनगर अख़बार के संवाददाता हैं और मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। सोशल मीडिया टीम के लोगों को मान्यता कैसे दी गई। यह सरासर गैरक़ानूनी है। उन्होंने लिखा- ऐसी बेशर्मी की बच्चे द्वारा ट्वीट किया गया सुसाइड नोट तक डिलीट कर दिया गया। ऐसा किसने किया। क्या छिपाना चाहते थे ये लोग। मुख्यमंत्री जी ये आपके बच्चे हैं, जो आपके कहने पर दिन रात हमें गालियां देते हैं। आज उनमें से एक ने तंग आकर आत्महत्या कर ली है। न्याय करिए।
उधर, अपने आखिरी मैसेज में पार्थ ने अपनी कंपनी के तीन-चार सदस्यों का जिक्र किया है। इस नोट से मालूम चल रहा है कि पार्थ अपनी कंपनी में होने वाली राजनीति से परेशान थे। उन्होंने अपने साथ काम करने वाली शैलजा और पुष्पेंद्र के नामों का जिक्र करते हुए इन्हें सुसाइड के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पार्थ ने बुधवार की सुबह अपने घर पर रस्सी से फंदा बनाकर सुसाइड किया। घर में लटके बेटे के शव को लेकर के पिता रविंद्र नाथ श्रीवास्तव राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल पहुंचे। जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस का कहना है कि उसे सुसाइड नोट नहीं मिला है।
पार्थ के दोस्त आशीष पांडे ने सोशल मीडिया पर पार्थ के ट्विटर और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए जस्टिसफॉरपार्थ कैंपेन शुरू किया है। सवाल यह है कि पार्थ के ट्विटर हैंडल से उसके पोस्ट किए गए 2 पेज के सुसाइड नोट को आखिर किसने डिलीट किया। यह सबकुछ उसकी मौत के बाद हुआ।