उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राम मंदिर का मुद्दा उठाकर समाज में जहर घोलने की कोशिश कर रहे हिंदूवादी संगठनों को मुद्दा विहीन करने के लिए अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में मुसलमानों के सहयोग को जरूरी बताने वाले दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री ओमपाल नेहरा को शुक्रवार को बर्खास्त कर दिया। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रांतीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी ने शुक्रवार को एक बातचीत में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री नेहरा को गुरुवार को बर्खास्त कर दिया। नेहरा राज्य के मनोरंजन कर विभाग में सलाहकार थे।
इस बीच, बर्खास्तगी के बाद नेहरा ने कहा कि वे अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि मेरा कहना था कि मुसलिम भाइयों को अयोध्या और मथुरा में मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करनी चाहिए। बदले में हिंदू भाइयों को उन स्थलों से एक-दो किलोमीटर दूर मस्जिद बनाने में भी मदद करनी चाहिए। मेरा मानना है कि दोनों स्थानों पर मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले ओमपाल नेहरा ने गत 23 दिसंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि कोई भी व्यक्ति मंदिर निर्माण के खिलाफ नहीं है और अगर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे तथाकथित हिंदूवादी संगठनों को चुप कराना है तो मुसलमानों को भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में सहयोग करना चाहिए। नेहरा ने यह भी कहा था कि राम मंदिर अयोध्या में नहीं बनेगा तो और कहां बनेगा।
नेहरा का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए दो ट्रक पत्थर मंगाए जाने के बाद अयोध्या समेत पूरे प्रदेश में विशेष सतर्कता बरती जा रही है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बारे में खुफिया विभाग से रिपोर्ट भी मांगी है। इसके अलावा उन्होंने अयोध्या समेत पूरे प्रदेश में किसी भी कीमत पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश भी दिए हैं।
इस बीच, भाजपा के प्रांतीय अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने नेहरा की बर्खास्तगी पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि नेहरा की टिप्पणी गलत समय पर आई है। जब मंदिर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो मंदिर निर्माण का कार्य कैसे शुरू किया जा सकता है। कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि नेहरा की बर्खास्तगी सही कदम है। उन्होंने कहा कि उनकी बर्खास्तगी का कदम सही है क्योंकि उन्होंने समाजवादी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ बयान दिया। मंदिर-मस्जिद का मामला इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में इस तरह के बयान तर्कसंगत नहीं है।

