उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही अभी दो साल दूर हैं लेकिन 2022 में कुर्सी की लड़ाई को लेकर बिसात बिछनी शुरू हो गई है। क्या बहुजन समाज पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण समुदाय का समर्थन मिल सकता है?
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में हाल के हुए घटनाक्रमों के बाद से यह सवाल उठ रहा है। उत्तर प्रदेश की सत्ता में ठाकुरों का दबदबा देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस बात को लेकर राज्य के ब्राह्मण समुदाय में पहले से ही गुस्सा देखने है। वहीं, हाल ही में विकास दुबे के कथित एनकाउंटर, गाजियाबाद में पत्रकार विकास जोशी की हत्या की घटनाओं के साथ ही योगी आदित्यनाथ की सरकार की ‘ठाकुर नीति’ से ब्राह्मण समुदाय का गुस्सा भड़का हुआ है। विकास दुबे और नाबालिग के एनकाउंटर के साथ ही सरकार और पुलिस की कार्रवाई को लेकर भी ब्राह्मण समुदाय में रोष है।
विकास दुबे के अलावा पांच अन्य लोगों को भी मारा गया है। बताया गया कि ये कथित रूप से विकास दुबे गैंग से जुड़े थे। ये पांचों भी ब्राह्मण समुदाय से थे। इन सब के बीच बसपा प्रमुख मायावती परोक्ष रूप से ब्राह्मण समाज को प्रताड़ित करने की बात के साथ-साथ योगी सरकार की आलोचना कर रही हैं। यह ब्राह्मण समुदाय के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है। मायावती की इस आलोचना को तिलक बनाम तलवार की लड़ाई में चुनावी बिसात पर पासे के रूप में देखा जा रहा है।
मायावती ने 12 जुलाई को अपने ट्वीट में कहा था कि बीएसपी का मानना है कि किसी गलत व्यक्ति के अपराध की सजा के तौर पर उसके पूरे समाज को प्रताड़ित व कटघरे में नहीं खड़ा करना चाहिए। इसीलिए कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड के दुर्दान्त विकास दुबे व उसके गुर्गों के जुर्म को लेकर उसके समाज में भय व आतंक की जो चर्चा गर्म है उसे दूर करना चाहिए।
मायावती यहां ही नहीं रुकी। उन्होंने आगे कहा कि यूपी सरकार अब खासकर विकास दुबे-काण्ड की आड़ में राजनीति नहीं बल्कि इस सम्बंध में जनविश्वास की बहाली हेतु मजबूत तथ्यों के आधार पर ही कार्रवाई करे तो बेहतर है। सरकार ऐसा कोई काम नहीं करे जिससे अब ब्राह्मण समाज भी यहां अपने आपको भयभीत, आतंकित व असुरक्षित महसूस करे।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या ब्राह्मण समाज भाजपा से नाराज चल रहा है। विकास दुबे एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया पर इस तरह की फोटो और वीडियो सामने आए हैं जिनमें यह दिख रहा है कि ब्राह्मण समुदाय भाजपा से नराजगी जता रहा है। कुछ वीडियो में लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि वह अब कभी भी भाजपा को वोट नहीं देंगे।
ऐसे में यह कयास लग रहे हैं कि एक बार फिर ब्राह्मण समुदाय मायावती की तरफ रुख कर सकता है। मायावती की सरकार में ब्राह्मणों को प्रशासन के साथ ही पार्टी में तवज्जों मिली थी। ब्राह्मण समुदाय बसपा के साथ खुद को सहज महसूस करता है। ऐसे में यह सवाल भी है कि क्या मायावती 2022 में फिर से 2007 दोहरा पाएंगी। 2007 में मायावती ने यूपी में पिछड़ी जातियों के साथ ही अगड़ी जातियों विशेष रूप से ब्राह्मण समुदाय का समर्थन हासिल किया। इस साल पहली बार बसपा ने दलित से ऊपर उठते हुए सर्वजन सुखाय का नारा दिया था।