UP Bypoll 2024: उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में राजनीतिक माहौल काफी गर्म है। बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, योगी सरकार के तमाम मंत्रियों, पार्टी संगठन के पदाधिकारियों, पन्ना प्रमुखों और बूथ अध्यक्षों को चुनाव जीतने का टास्क दिया गया है। लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए रहे बेहद खराब नतीजों के बाद बीजेपी इस उपचुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है। लेकिन एक सीट ऐसी है जिस पर जीत के लिए पार्टी ने 9 हजार पदाधिकारियों को मैदान में उतार दिया है।
इस सीट का नाम कुंदरकी है और यहां जीत के लिए बीजेपी ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया हुआ है। बीजेपी इस सीट पर जीत के लिए कितनी गंभीर है, इसे आप इससे समझ सकते हैं कि इस विधानसभा क्षेत्र में योगी सरकार के चार मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है। कुंदरकी विधानसभा सीट पर प्रभारी के तौर पर कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह, गुलाब देवी, राज्य मंत्री जेपीएस राठौर और जसवंत सैनी को पार्टी ने कमल खिलाने का काम सौंपा है।
इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के नारे को लेकर भी सपा और बीजेपी के नेताओं के बीच जबरदस्त पोस्टर वार उत्तर प्रदेश में चल रहा है।
इन 9 सीटों पर हो रहा है उपचुनाव
विधानसभा सीट का नाम | संबंधित लोकसभा |
कटेहरी | अंबेडकर नगर |
मझवां | मिर्जापुर |
मीरापुर | मुजफ्फरनगर |
सीसामऊ | कानपुर नगर |
करहल | मैनपुरी |
फूलपुर | प्रयागराज |
खैर | अलीगढ़ |
कुंदरकी | मुरादाबाद |
गाजियाबाद | गाजियाबाद |
कुंदरकी में हैं 7000 पन्ना प्रमुख
कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में 7000 पन्ना प्रमुख हैं। बीजेपी में पन्ना प्रमुखों की जिम्मेदारी बेहद अहम मानी जाती है। यहां तक कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डाल भी पन्ना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में कुल 436 बूथ हैं और हर एक बूथ पर बूथ अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी में शामिल लोग पार्टी की जीत के लिए जुटे हुए हैं। इसके अलावा सभी बूथों पर शक्ति केंद्र भी बनाए गए हैं। इन शक्ति केंद्रों पर भी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। कुंदरकी में इस उपचुनाव में कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। जिनमें सपा से हाजी रिजवान, बीजेपी से रामवीर सिंह, बीएसपी से रफतुल्लाह, सांसद चंद्रशेखर आजाद की आसपा (कांशीराम) से चांद बाबू और AIMIM से मोहम्मद वारिस चुनाव लड़ रहे हैं।
अखिलेश बोले- जीत के लिए जुटें पार्टी नेता
दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी कुंदरकी विधानसभा सीट पर सपा के नेताओं को जीत का टारगेट दिया है।
अखिलेश यादव ने सोमवार को यहां पार्टी के प्रत्याशी हाजी रिजवान के समर्थन में जनसभा करते हुए सभी नेताओं से कहा कि वे इस सीट पर एक बार फिर से जीत के लिए जोर लगाएं। उन्होंने पार्टी नेताओं को नसीहत दी कि वे पार्टी के प्रत्याशियों के लिए खुलकर चुनाव प्रचार करें।
आजादी के बाद सिर्फ एक बार जीती है बीजेपी
कुंदरकी विधानसभा सीट पर देश की आजादी के बाद से अब तक सिर्फ एक बार ही बीजेपी को जीत मिली है। पार्टी यहां 1993 में चुनाव जीती थी। यह विधानसभा सीट इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि यह प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह के गृह जिले मुरादाबाद में आती है।
कुंदरकी विधानसभा सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में जियाउर रहमान बर्क को जीत मिली थी। जियाउर रहमान बर्क शफीकुर्रहमान बर्क के पोते हैं। शफीकुर्रहमान बर्क संभल सीट से कई बार सांसद रहे थे। कुछ महीने पहले उनका इंतकाल हो गया था। जियाउर रहमान बर्क इस बार लोकसभा चुनाव में संभल की सीट से सांसद चुने गए हैं और उनके विधानसभा से इस्तीफा देने की वजह से इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। कुंदरकी सीट पर 1996 से आज तक कोई भी हिंदू नेता चुनाव नहीं जीता।
2022 के विधानसभा चुनाव में कुंदरकी विधानसभा सीट से जिया उर रहमान बर्क को 1,25,792, बीजेपी उम्मीदवार कमल प्रजापति को 82,630 और बसपा के उम्मीदवार हाजी रिजवान को 42,742 वोट मिले थे।
कुंदरकी में 1996 से नहीं बना कोई हिंदू विधायक
साल | विधायक का नाम |
1996 | अकबर हुसैन |
2002 | मोहम्मद रिज़वान |
2007 | अकबर हुसैन |
2012 | मोहम्मद रिज़वान |
2017 | मोहम्मद रिज़वान |
2022 | जिया उर रहमान बर्क |
60 फीसदी से ज्यादा हैं मुस्लिम मतदाता
कुंदरकी विधानसभा सीट पर कुल 3,83,488 मतदाता हैं। इसमें से लगभग सवा दो लाख मुस्लिम मतदाता हैं। 63,000 एससी-एसटी और 30-30 हजार क्षत्रिय समुदाय और सैनी वर्ग के मतदाता हैं। यादव मतदाताओं की संख्या यहां 15 हजार है। बाकी मतदाता अन्य समुदायों के हैं।
क्या है बीजेपी की रणनीति?
बीजेपी कुंदरकी विधानसभा सीट पर हिंदू मतदाताओं की एकजुटता पर जोर दे रही है। लेकिन अगर वह मुस्लिम मतों में थोड़ा-बहुत सेंधमारी कर पाई तो इस सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद नजदीकी हो सकता है क्योंकि बसपा, आसपा(कांशीराम) और AIMIM के बीच मुस्लिम मतों का बंटवारा हो सकता है।