लखीमपुर कांड के बाद से विपक्षियों के निशाने पर चल रहे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को लेकर बीजेपी खासी सतर्कता बरत रही है। सरकार में उन्हें बहाल रखकर बीजेपी नेतृत्व ने संकेत दिया है कि टेनी पर कोई ऐसा एक्शन नहीं होने वाला जिससे ब्राह्मण समाज गुस्से में आए। लेकिन दूसरी तरफ उन्हें चुनाव से जुड़ी बैठकों से दूर रखा जा रहा है।

दिल्ली में जब ब्राह्मणों को साधने के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया तो टेनी उस बैठक में मौजूद थे। अलबत्ता अगले दिन चारों नेता जब पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले तो टेनी नदारद दिखे। यही नहीं लखीमपुर में चुनावी कार्यक्रमों के तहत राधा मोहन सिंह सक्रिय दिखे तो वहां से भी टेनी लापता था। हालांकि राधा मोहन ने ट्विटर पर जो तस्वीरें पोस्ट कीं उनमें टेनी का फोटो था। यानि साथ तो हैं पर लोगों की नजरों से दूर।

सूत्रों का कहना है कि बीजेपी टेनी को सीधे निशाने पर नहीं लाना चाहती। वो चुनावी सभाओं में सक्रिय दिखेंगे तो विपक्ष लखीमपुर कांड के बहाने बीजेपी पर हमलावर हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं कि बीजेपी उन्हें झटकने का इरादा रख रही हो। एक नेता का कहना था कि जब भी लखीमपुर में आरपार की लड़ाई शुरू होगी तब टेनी बीजेपी का मोर्चा संभालेंगे। टेनी को लखीमपुर के इलाके में तेजतर्रार नेता माना जाता है।

टेनी की अहमियत इस वजह से भी है, क्योंकि वो ब्राह्मण नेता हैं। यूपी में फिलहाल योगी आदित्यनाथ सीएम हैं। वो ठाकुर हैं। ब्राह्मणों से ठाकुरों की ज्यादा बनती नहीं। ऐसे में टेनी को झटकने का मतलब एक बड़े तबके को नाराज करना है। पार्टी नेतृत्व कभी भी ऐसा नहीं चाहेगा। जुलाई में जब टेनी को पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था तो उनकी सोच दूर की थी। उन्हें पता था कि टेनी का यूपी चुनाव में इस्तेमाल होगा।

बीजेपी के राज्य प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि उनके दल में संगठन नेताओं के प्रोग्राम तय करता है। टेनी अपने मंत्रालय में बिजी हैं। लिहाजा वो पार्टी के प्रोग्राम से दूर हैं। पार्टी अपने हिसाब से उनका उपयोग करेगी। ध्यान रहे कि टेनी के बेटे आशीष पर आरोप है कि उन्होंने कार चढ़ाकर कई किसानों को उस दौरान कुचल दिया था जब आंदोलनकारी बीजेपी नेताओं का घेरान करने के लिए जा रहे थे। उसके बाद से ही टेनी को लेकर किसान संगठन व विपक्षी दल खासे हमलावर हो रहे हैं।