इंदिरा गांधी आजाद भारत की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री मानी जाती है। इंदिरा को दुनिया भर के चुनिंदा नेताओं में भी शामिल किया जाता है। एक ज़माने में इंदिरा गांधी की तूती पूरे देश में बोली जाती थी। लेकिन इंदिरा गांधी को ऐसे दिन का भी सामना करना पड़ा जब लोगों ने उनकी इज्जत तक नहीं की। इतना ही नहीं जब देश की प्रधानमंत्री होते हुए वह एक जगह पर गईं तो लोगों ने उनके सम्मान में खड़ा होना भी मुनासिब नहीं समझा। लोग उनके सामने भी कुर्सी पर बैठे रहे। आइये जानते हैं कि उस पूरे मामले को जब इंदिरा गांधी को ऐसे वक्त का सामना करना पड़ा।

18 मार्च 1975 दिन मंगलवार को सुबह के दस बजे होंगे। इलाहबाद हाईकोर्ट के कोर्ट नंबर पंद्रह में खचाखच भीड़ थी। सुरक्षा के भी बेहद कड़े इंतजाम किए गए थे। कोर्ट रूम में सबसे पहले जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा पहुंचे। जस्टिस सिन्हा के आते ही सब लोग उनके सम्मान में खड़े हो गए। उसके थोड़ी देर बाद देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी पहुंची। लेकिन वहां मौजूद लोगों में से कोई भी उनके सम्मान में खड़ा नहीं हुआ। जबकि वहां करीब 150 लोगों की भीड़ थी। जस्टिस सिन्हा का आदेश मिलते ही कोर्ट की कार्यवाही शुरू की गई। कार्यवाही शुरू होने के बाद वहां मौजूद अर्दली ने इंदिरा गांधी का नाम लेकर कठघरे में आने को कहा। इंदिरा गांधी को यह थोडा अटपटा लगा और वह नर्वस हो गईं।

हालांकि इंदिरा गांधी कोर्ट का सम्मान करते हुए कठघरे में जाकर खड़ी हो गईं। बाद में इंदिरा गांधी के वकील एस सी खरे ने जस्टिस सिन्हा से कठघरे में एक कुर्सी की व्यवस्था करने का आग्रह किया। जस्टिस सिन्हा ने उनके वकील की मांग को स्वीकार करते हुए कठघरे में एक कुर्सी की व्यवस्था करवा दी। जिसके बाद इंदिरा उस कुर्सी पर बैठ गईं। कोर्ट रूम में इंदिरा करीब पांच घंटे तक रहीं, लेकिन उनके वकील को छोड़कर कोई भी उनके पास नहीं गया। करीब पांच घंटे बाद जब इंदिरा वापस जाने लगीं तब भी कोर्ट रूम में मौजूद कोई भी अपनी जगह से खड़ा नहीं हुआ। इंदिरा के वकील एससी खरे उनके साथ बाहर निकले। कोर्टरूम के बाहर कई लोग इंदिरा से मिलने के लिए खड़े हुए थे। लेकिन कोर्टरूम में लोगों के रवैये से हैरान इंदिरा किसी से भी नहीं मिलीं और सीधे अपनी कार में जा बैठीं। 

दरअसल 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी की पार्टी ने ज़बरदस्त जीत हासिल की थी। इंदिरा ने उस समय रायबरेली सीट से बड़े समाजवादी नेता रहे राज नारायण को करीब एक लाख ग्यारह वोटों से हराया था। एक लाख से ज़्यादा वोटों से हारने के बाद राज नारायण ने इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने और चुनाव में धांधली कराने का आरोप लगाया था।

राज नारायण ने इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी और उन्हें अयोग्य घोषित किये जाने की मांग की थी। जिसके बाद जस्टिस जगमोहन सिन्हा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को समन जारी कर 18 मार्च 1975 को कोर्ट में पेश होने को कहा था। कहा जाता है कि यह भारतीय इतिहास में पहला मौका था, जब किसी प्रधानमंत्री को कोर्ट में पेश होना पड़ा था।