उन्नाव पुलिस ने सोमवार (27 अगस्त, 2019) को उन्नाव रेप पीड़िता के चाचा के खिलाफ फर्जीवाड़े के आरोप में चार्जशीट दाखिल की। साल 2000 में हत्या की कोशिश में 10 साल की सजा काट रहे चाचा पर आरोप है कि उन्होंने व्हाइटनर का इस्तेमाल कर कोर्ट के फैसले की कॉपी में बदलाव किया। इस मामले में उन्नाव पुलिस ने मार्च में एक मामला दर्ज किया था। केस की जांच कर रहे सब इंस्पेक्टर अमर सिंह ने बताया, ‘मामला जून, 2000 का है जब चाचा और उनके दो भाईयों (इसमें रेप पीड़िता के पिता भी शामिल हैं) के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया गया था। मामला उन्नाव के स्थानीय पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया। गिरफ्तारी के एक साल बाद चाचा को जमानत पर रिहा कर दिया गया।’

सिंह के मुताबिक, ‘साल 2002 में कोर्ट ने अन्य दो आरोपियों को बरी कर दिया।’ हालांकि दोनों व्यक्तियों की अब मौत हो चुकी है। इसमें रेप पीड़िता के पिता को कथित तौर पर अप्रैल, 2018 में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के समर्थकों ने न्यायिक हिरासत में मार दिया था। नवंबर, 2018 में उन्नाव पुलिस ने दिल्ली से चाचा को गिरफ्तार किया। उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एंड एंटी-सोशल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट लगाया गया।

अमर सिंह के अनुसार, ‘पुलिस ने चाचा के खिलाफ आपराधिक मामलों की एक लिस्ट उन्नाव कोर्ट में जमा कराई। इसके अलावा उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए अन्य दस्तावेज भी जमा कराए। लिस्ट में साल 2000 का मामला भी शामिल था। कोर्ट में चाचा ने दावा कि किया वह हत्या की कोशिश के मामले में अभियुक्त नहीं थे। उन्होंने साल 2002 में कोर्ट के फैसले की एक कॉपी जमा कराई, जिसमें चाचा के नाम की जगह किसी दूसरे शख्स का नाम था।’ सिंह ने बताया कि चाचा का नाम मिटाने और उसे दूसरे के नाम के साथ बदलने के लिए एक व्हाइटनर का इस्तेमाल किया गया था।

सिंह ने कहा कि संबंधित कोर्ट ने पुलिस के संदेह की पुष्टि की और कोर्ट के रिकॉर्ड कीपर की शिकायत पर एक शिकायत दर्ज की गई। इसपर अंकल के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज किया गया। 29 मार्च को सिटी कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला यह दर्ज किया गया था।