केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केंद्र सरकार के बीच सब कुछ सामान्य नजर नहीं आ रहा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें अधिकतर प्रचार अभियान से दूर रखा गया है। यहां तक कि जब फडणवीस ने अपनी राज्यव्यापी यात्रा का समापन नासिक में पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में किया तो उस वक्त गडकरी मौजूद नहीं थे। गडकरी मुंबई में आयोजित बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह की रैली में भी मौजूद नहीं थे।
हाल ही में पीएमओ की ओर से गडकरी के मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को चिट्ठी भेजकर चेतावनी दी गई कि एनएचएआई नए प्रोजेक्ट्स पर फोकस करने के बजाए पुराने के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करे। जब इस नोट के बारे में एक पत्रकार ने पूछा था तो गडकरी ने कहा था कि यह महज एक अडवाइजरी थी।
पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में गडकरी को इंफ्रास्ट्रक्चर पर बने किसी प्रमुख कैबिनेट कमेटी में शामिल नहीं किया गया है। गडकरी एयर इंडिया के विनिवेश के लिए बने कमेटी में भी शामिल नहीं हैं, जबकि पिछली मोदी सरकार में वह इसका हिस्सा रह चुके हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि संशोधित मोटर व्हीकल कानून के लागू होने के बाद चालान रकम में हुई कई गुना बढ़ोत्तरी का विरोध करने वाले राज्यों में सबसे पहले बीजेपी शासित गुजरात का नाम सामने आया। गुजरात ने ट्रैफिक उल्लंघन के लिए होने वाले जुर्माने की रकम को कम करने का फैसला किया। संदेश साफ है- या तो आप पूरी तरह सत्ता के साथ हैं या फिर आप अकेले। आरएसएस आपको नहीं बचा सकता।
बता दें कि हाल ही में मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि देश में राजमार्गों और सड़कों का निर्माण करने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) कर्ज के बोझ तले दब गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अथॉरिटी की इस स्थिति के बाद मोदी सरकार ने उसे चिट्ठी लिखकर राजमार्गों के निर्माण पर रोक लगाने के लिए कहा था। खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय ने एनएचएआई को रोड असेट्स मैनेजमेंट कंपनी के रूप में बदलने का प्रस्ताव दिया था।