केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को औपचारिक रूप से अपना पहला उपन्यास ‘लाल सलाम’ दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में लॉन्च किया। यह उपन्यास वेस्टलैंड द्वारा प्रकाशित एक क्राइम थ्रिलर है। यह उपन्यास साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में माओवादी हमले के दौरान 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या की घटना से प्रेरित है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पत्रकार वीर सांघवी के साथ कई मुद्दों पर खुलकर बात की। टेलीविजन की दुनिया से लेकर राजनीति तक अपने लंबे करियर के बारे में बात करते हुए ईरानी ने जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की बात कही। ईरानी ने जिंदगी को लेकर अपने नजरिए के बारे में बात करते हुए कहा, ”मुझे पता था कि केवल एक चीज जो मैं करना चाहती था वह बिना किसी पूर्व शर्त के जीना था। मैंने जीवन में बहुत पहले ही समझ लिया था कि मेरे द्वारा लिए गए किसी भी फैसले के परिणाम होते हैं।”
ईरानी ने टेलीविजन की दुनिया में जाने के फैसले पर कहा, ”जब मैंने घर छोड़ा तब मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं आपके किए के बजाय खुद के किए के परिणामों का सामना करूंगी।” ईरानी बालाजी टेलीफिल्म्स के सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ (2000-2008) का प्रमुख चेहरा थीं और इस सीरियल के जरिए स्मृति ईरानी ने खूब पॉपुलैरिटी बटोरी थी। राजनीति में आने से पहले स्मृति ईरानी ने कई अन्य टीवी सीरियल्स में काम किया।
2019 में 43 साल की स्मृति ईरानी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र की मंत्री थीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैं अपनी जिंदगी जीने के लिए बाहर निकली थी और फिर इतिहास बना।”
स्मृति ईरानी के इस उपन्यास की कहानी एसपी विक्रम सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है, जो छत्तीसगढ़ के अंबुजा गांव में तैनात हैं और अपने दोस्त एवं साथी पुलिस अधिकारी दर्शन की हत्या के लिए न्याय की तलाश में हैं। यह उपन्यास अप्रैल, 2010 में दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार गांव में माओवादी हमले में 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या की घटना से प्रेरित है।