केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर बढ़ाई गई जुर्माने की राशि और राज्यों के रुख पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।  केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि जुर्माने की राशि को कम करना राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है लेकिन उन्हें इसके परिणाम भी भुगतने होंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह विषय संविधान की समवर्ती सूची में शामिल है। ऐसे में राज्य चाहे तो जुर्माने की राशि घटा सकते हैं। सरकार की मंशा इससे राजस्व हासिल करना नहीं बल्कि लोगों की जिंदगी को सुरक्षित करना है। गडकरी ने कहा कि राज्यों को इसके परिणाम भुगतने होंगे क्योंकि लोगों की जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी केंद्र की ही नहीं बल्कि राज्यों की भी है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब मोटर वाहन अधिनियम, 1988 पारित हुआ था उस समय के 500 रुपये आज के 5000 रुपये के बराबर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब भारतीय विदेश जाते हैं तो उन्हें वहां के ट्रैफिक नियमों को मानने में दिक्कत नहीं होती है। वहीं, लोग अपने देश में नियमों की कद्र नहीं करते।

एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में गडकरी ने कहा कि 30 साल पहले के 500 रुपये की आज वैल्यू क्या है? उन्होंने कहा कि मैंने देखा है कि ट्रैफिक पुलिस वाला सीटी बजाता रहता है लेकिन लोग हंसते हुए निकल जाते हैं। लोगों में कानून के प्रति डर और सम्मान होना चाहिए।

मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन के बाद ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। कई राज्यों ने जहां अभी इसे लागू नहीं किया है वहीं कुछ राज्य जुर्माने की राशि में कटौती कर इसे लागू कर रहे हैं।

मालूम हो कि नए मोटर वाहन कानून में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने, शराब पीकर वाहन चलाने, बिना हेलमेट के वाहन चलाने, बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाने और ओवरलोडिंग के मामलों में जुर्माने की राशि में 10 गुना तक बढ़ोतरी कर दी गई है।

नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में सजा के नए कानून का उल्लेख करते हुए गडकरी ने कहा कि सड़क पर लोगों की जान को सुरक्षित रखना सबसे महत्वपूर्ण है। वहीं, नए मोटर वाहन कानून को लागू करने को लेकर देश में कई राज्य अभी सुस्त रवैया अपनाए हुए हैं। गुजरात और उत्तराखंड के बाद कर्नाटक ने भी जुर्माने की राशि में कटौती करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है।