कोरोना वैक्सीन को लेकर फिर से राजनीति शुरू हो गई है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए कहा है कि वो कहते रहे हैं, “हमारे बच्चों के टीके कहां हैं?” राजस्थान में इस वैक्सीन को कचरे में फेंक दिया गया है और यहां पंजाब में लोग इससे लाभ कमा रहे हैं। वहीं उन्होंने राज्य पर मुनाफाखोरी के भी आरोप लगाए। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आंकड़ों की मदद से किस तरह के खुलासे किए हैं।

उन्होंने पंजाब सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जहां लोगों को मुफ्त में वैक्सीन बांटी जानी थी। वहां लोगों को ज्यादा कीमत में बेचा गया। उन्होंने आंकड़ों पर कहा कि 309 रुपए में खरीदी वैक्सीन को 1560 रुपए में आम लोगों को बेचा गया। उन्होंने कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन की 4.29 लाख खुराक की कीमत 13.25 करोड़ रुपए यानी प्रत्येक खुराक की औसत कीमत 309 रुपए है। जबकि 1,14,190 कोवैक्सिन 4.70 करोड़ रुपये में खरीदी गई। यानी प्रत्येक कोवैक्सिन डोज की कीमत 412 रुपए हैं।

मुनाफाखोरी के लगाए आरोप : हरदीप सिंह पुरी यहीं नहीं रुके उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित राज्यों पर मुनाफाखोरी के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आम लोगों को मुफ्त में वैक्सीनेशन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 50 फीसदी वैक्सीन दिए हैं। वहीं राज्यों की ओर से अपनी ओर से की गई खरीद पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। अगर यह डाटा पूरी तरह से ठीक है तो प्रोफिट की एक्चुअल रकम सिर्फ 2.40 करोड़ रुपढ नहीं है।


कुछ इस तरह के लगे थे पोस्टर :
आपको बता दें कि महीने दिल्ली के कई इलाकों में पोस्टर लगाए थे, जिसमें लिखा था ‘मोदी जी, हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया।’ इन पोस्टर्स के लगने के बाद आप नेताओं का नाम सामने आया था। साथ इस पोस्टर विवाद को कांग्रेस के नेताओं ने लपककर केंद्र सरकार की काफी आलोचना भी की थी। राहुल और प्रियंका गांधी तक ने इस पोस्टर पर अपनी प्रतिक्रिया देते सरकार को घेरने का काम किया था। उस समय देश में कोरोना वायरस के केसों में कमी आ रही थी, लेकिन मौतों का सिलसिला नहीं थम रहा था। साथ ही देश के कई हिस्सों में कोरोना वैक्सीन की कमी भी देखने को मिल रही थी।