शनिवार को आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा वाराणसी में पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो दिनों तक चलने वाले राजभाषा सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वीर सावरकर न होते तो हम अंग्रेजी ही बोल रहे होते। इस दौरान उन्होंने कई शब्द भी गिनाए।
वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर इस देश में अनेक कामों के कारण जाने जाते हैं। दुनिया भर में उनकी स्वीकृति है। लेकिन आपलोगों के ध्यान में यह कम होगा कि वीर सावरकर ने स्वभाषा और राजभाषा के लिए बहुत बड़ा काम किया। हिंदी का शब्दकोष बनाया। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कई ऐसे शब्दों के बारे में जानता हूं जो अगर सावरकर न होते तो हम अंग्रेजी शब्दों का ही प्रयोग कर रहे होते।
इस दौरान उन्होंने शब्द गिनाते हुए कहा कि फिल्म में आने वाले डायरेक्टर का कोई हिंदी शब्द नहीं था। उसके लिए उन्होंने निर्देशक शब्द दिया। आर्ट डायरेक्शन के लिए कला निर्देशन का शब्द दिया। ऐसे ही कई शब्द उन्होंने दिए और हिंदी को समृद्ध बनाने का प्रयास किया। इसी प्रकार से अब समय आया है कि हम इसे लचीली बनाएं।
राजभाषा सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि जब आजादी के 100 साल पूरे हों तो हमारी राजभाषा और सभी क्षेत्रीय भाषाओं का दबदबा रहना चाहिए ताकि कोई भी विदेशी भाषा हमारे सामने खड़ी न हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि मैं गुजरात से आता हूं और मेरी भाषा गुजराती है लेकिन मैं हिंदी को भी उतना ही महत्व देता हूं जितना गुजराती को देता हूं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं गौरव के साथ कहना चाहता हूं कि आज गृह मंत्रालय में अब एक भी फाइल ऐसी नहीं है जो अंग्रेजी में लिखी या पढ़ी जाती है।
इसके अलावा अमित शाह ने कहा कि विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं अपने देश में हैं। उन भाषाओं को हमें आगे बढ़ाना है। भाषा जितनी सशक्त और समृद्ध होगी उतनी ही संस्कृति व सभ्यता भी विस्तृत व सशक्त होगी। इसलिए अपनी भाषा से लगाव और उसके उपयोग में कभी भी शर्म मत कीजिए। यह गौरव का विषय है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमने पूरी तरह से राजभाषा को स्वीकार किया और हमारे कई अन्य विभाग इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।