COVID-19 टेस्ट अब बगैर डॉक्टर के पर्चे के भी हो सकेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हेल्थ मिनिस्ट्री ने Coronavirus Testing की एडवाइजरी में बदलाव कर दिया है। शनिवार को मंत्रालय ने इस बाबत नई गाइडलाइंस जारी कीं। साथ ही बताया कि लोग ‘ऑन-डिमांड’ मतलब जरूरत और सहूलियत के हिसाब से कोरोना वायरस संक्रमण की जांच करा सकेंगे, जिसके लिए उन्हें डॉक्टरी प्रिस्क्रिप्शन/पर्चे की जरूरत नहीं पड़ेगी। नई व्यवस्था के तहत जो भी लोग टेस्ट कराना चाहते हैं और जो यात्रा कर रहे हैं, वे कोरोना का यह ‘ऑन डिमांड टेस्ट’ करा सकेंगे।

वहीं, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोविड-19 जांच रणनीति के लिए परामर्श जारी की है, जिसमें व्यक्ति की मांग पर संक्रमण की जांच करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, राज्यों को अपने विवेकाधिकार के आधार पर इसमें संशोधन करने की मंजूरी भी दी गई है। आईसीएमआर ने देशों या भारतीय राज्यों में प्रवेश के दौरान कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य किये जाने के मद्देनजर सभी व्यक्तियों को मांग के आधार पर जांच कराने का सुझाव दिया है।

आईसीएमआर ने शुक्रवार को ‘भारत में कोविड-19 जांच रणनीति परामर्श’ (चौथा संस्करण) जारी किया, जिसमें कहा गया है कि राज्य मांग के अनुरूप जांच और नियम कायदों में बदलाव कर सकते हैं। साथ ही सलाह दी गई है कि निषिद्ध क्षेत्र में रह रहे 100 प्रतिशत लोगों की रैपिड एंटीजन जांच की जानी चाहिए, खासतौर पर उन शहरों में जहां बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला है। आईसीएमआर ने जोर दिया कि जांच नहीं होने के आधार पर आपात सेवा में देरी नहीं जानी चाहिए और गर्भवती महिला को जांच की सुविधा नहीं होने के आधार पर रेफर नहीं किया जाना चाहिए।

परामर्श में कोविड-19 जांच की मौजूदा सिफारिशों का विस्तार किया गया है और चार भागों – निषिद्ध क्षेत्र में नियमित निगरानी, प्रवेश बिंदुपर जांच, गैर निषिद्ध क्षेत्र में नियमित निगरानी, अस्पतालों की स्थापना और मांग पर जांच- में बांटा गया है और प्राथमिकता के आधार पर जांच के प्रकार (आरटी-पीसीआर, ट्रूनेट या सीबनैट और रैपिड एंटीजन जांच) को सूचीबद्ध करने को कहा गया है।

आईसीएमआर ने कहा कि आरटी-पीसीआर/ट्रूनेट/सीबीनैट की एक ही जांच संक्रमण की पुष्टि के लिए होनी चाहिए, कोविड-19 मरीज देखभाल केंद्र और अस्पताल से छुट्टी दिए जाने बाद दोबारा जांच की जरूरत नहीं है। आईसीएमआर के मुताबिक रैपिड एंटीजन जांच की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद लक्षण सामने आते हैं तो दोबारा रैपिड एंटीजन जांच या आरटी-पीसीआर जांच की जानी चाहिए।

बता दें कि भारत में महज 13 दिन में कोविड-19 के मरीजों की संख्या 30 लाख से बढ़कर 40 लाख के पार पहुंच गई, जिनमें शनिवार को सामने आये 86,432 नये मामले भी शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, शनिवार तक 31,07,223 मरीज ठीक हुए हैं, जिसके साथ कोविड-19 मरीजों की ठीक होने की दर बढ़कर 77.23 प्रतिशत हो गई है। मंत्रालय के शनिवार सुबह के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल कोविड-19 मरीजों की संख्या बढ़कर 40,23,179 हो गई है।

मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटे में 1,089 मरीजों की मौत हुई है, जिन्हें मिलाकर अबतक देश में कुल 69,561 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोविड-19 मरीजों की संख्या 10 लाख से 20 लाख तक पहुंचने में 21 दिनों का समय लगा जबकि 20 से 30 लाख मरीज होने में 16 और दिन लगे। हालांकि, संक्रमितों की संख्या 30 लाख से 40 लाख तक पहुंचने में मात्र 13 दिनों का समय लगा है।

मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 मरीजों की संख्या एक लाख तक पहुंचने में 110 दिन लगे थे जबकि संक्रमितों की संख्या एक लाख से 10 लाख तक पहुंचने में 59 दिन लगे। कोविड-19 से मरने वालों की दर में और गिरावट आई है और अब यह 1.73 प्रतिशत रह गई है। इस समय देश में कोविड-19 के 8,46,395 मरीज उपचाराधीन हैं जो कुल संक्रमितों का 21.04 प्रतिशत है। वहीं, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक चार सितंबर तक देश में कुल 4,77,38,491 नमूनों की जांच गई है, जिनमें से 10,59,346 नमूनों की जांच अकेले शुक्रवार को की गई। (भाषा इनपुट्स के साथ)