भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 4 मई को रेपो रेट में बढ़ोतरी किये जाने के फैसले पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे RBI के नीतिगत ब्याज दर बढ़ाने से हैरानी नहीं हुई लेकिन दर वृद्धि का समय एक आश्चर्य की तरह था। उन्होंने कहा कि लोगों को लग रहा था कि यह काम किसी भी तरह किया जाना चाहिए था। आश्चर्य इसलिए हुआ कि यह फैसला मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो बैठकों के बीच में हुआ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को मुंबई में ‘द इकोनॉमिक टाइम्स अवार्ड्स फॉर कॉरपोरेट एक्सीलेंस’ में कहा, “यह वह समय है जिसने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है, लेकिन लोगों ने जैसा सोचा था, उसे किसी तरह किया जाना ही चाहिए था। वह किसी भी हद तक अलग हो सकता था।”
सीतारमण ने कहा कि इस पर हैरानी सिर्फ इसलिए है क्योंकि यह दो मौद्रिक नीति समीक्षाओं के बीच आया है। उन्होंने कहा कि पिछली बैठक के बाद केंद्रीय बैंक ने इस बात के संकेत दिए थे कि महंगाई को लेकर अब कुछ काम करने का समय आ गया है। ऐसे में आरबीआई ने इस बार यह निर्णय दुनिया के बाकी केंद्रीय बैंकों के साथ मेल मिलाते हुए किया।
वित्त मंत्री ने कहा, ”एक कदम तालमेल को देखते हुए उठाया गया था। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने भी दरों में वृद्धि की है। इस तरह मुझे आजकल केंद्रीय बैंकों के बीच अधिक समझ नजर आ रही है। लेकिन महामारी से निपटने के तरीके की समझ सिर्फ भारत के ही लिए अनूठी या विशिष्ट नहीं है। यह एक वैश्विक मुद्दा है।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश पर आरबीआई के ब्याज दर बढ़ाने के फैसले का असर नहीं पड़ेगा। पूंजी की लागत बढ़ने के बाद भी सरकार अपनी योजनाओं पर काम करती रहेगी।
गौरतलब है कि बीते बुधवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 2-4 मई के बीच हुई एक ऑफ-साइकिल मीटिंग में रेपो दर को 40 आधार अंकों (bps) तक बढ़ाकर तत्काल प्रभाव से 4.40 प्रतिशत कर दिया है।
वहीं रेपो रेट में बढ़ोतरी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई का दबाव, कच्चे तेल के बढ़ते भाव और रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे दुनियाभर में हालात को वजह बताया है। अचानक इस तरह से RBI द्वारा रेपो रेट बढ़ाना कई बाजार एनालिस्टों को पच नहीं रहा।