सुप्रीम कोर्ट द्वारा राफेल डील की जांच कराने की याचिका खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार से मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग की है, जिसे केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खारिज कर दिया। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में जेटली ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, “बहरे कभी जवाब नहीं सुनते?” जेटली ने कहा, “राफेल जैसे सौदों की समीक्षा शरीर के अलग-अलग अंगों की तरह नहीं की जा सकती है, यह केवल कानून की अदालत में ही की जा सकती है।” सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने डील की जांच जेपीसी से कराने की मांग की थी।

जेटली ने कहा कि जब कांग्रेस सभी तरह की बाधाएं खड़ी करते-करते थक गईं तब राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ के नाम पर नई फिक्शन स्टोरी बनाने लगी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दिए गए सभी आंकड़े सही साबित हुए हैं जबकि राहुल गांधी द्वारा दिए गए आंकड़े गलत साबित हुए हैं। जेटली ने कहा, “सच की सिर्फ एक आवाज होती है जबकि झूठ के कई मुंह होते हैं। राहुल गांधी ने हर जगह झूठ बोला है।” रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राफेल मुद्दा खत्म हो गया है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार, 14 दिसंबर) राफेल मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए इस रक्षा खरीद की डील की सीबीआई जांच कराने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस डील के तहत अपनाई गई खरीद प्रक्रिया, कीमत निर्धारण और ऑफसेट पार्टनर बनाने के मामले में भी दखल देने से इनकार किया है। हालांकि, कोर्ट ने मामले में भ्रष्टाचार पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि इस डील में करप्शन हुआ है या नहीं। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “सभी तीन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और मामले को विस्तार से सुनते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि भारत सरकार द्वारा 36 राफेल डील से जुड़ी संवेदनशील रक्षा खरीद में अदालत द्वारा हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता है।