केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक को गैर कानूनी बनाने के लिए इसके खिलाफ अध्यादेश लाया है। बुधवार (19 सितंबर) को मोदी कैबिनेट ने इस अध्यादेश को हरी झंडी दे दी। अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा। अध्यादेश में एक बार में ही तीन तलाक देने वालों को तीन साल तक जेल का प्रावधान किया गया है। बता दें कि मोदी सरकार ने संसद में तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम वीमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज) बिल पास नहीं करा पाने की स्थिति में यह अध्यादेश लाया है। अध्यादेश में भी वही प्रावधान किए गए हैं जो उस बिल में है। इस बिल को पिछले साल दिसंबर में लोकसभा ने पास कर दिया है लेकिन राज्यसभा में बिल अटका पड़ा है। राज्य सभा में सरकार के पास जरूरी संख्या नहीं है, इसलिए पिछले मानसून सत्र में भी सरकार बिल पास नहीं करा सकी।
हालांकि, अध्यादेश लाने के बावजूद सरकार को यह बिल संसद से छह महीने के अंदर पास कराना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि अध्यादेश लाने की शक्ति कानून बनाने की शक्ति के बराबर नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि किसी बिल के पास नहीं होने पर उसके लिए अध्यादेश लाना संविधान के साथ धोखाधड़ी है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। हालांकि, कोर्ट तीन तलाक को गैर कानूनी करार दे चुका है।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस बिल का विरोध कर रही है और प्रस्तावित बिल में कई संशोधनों की मांग कर रही है। कांग्रेस बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने की भी मांग कर रही है। विपक्ष की मांग पर ही सरकार ने इस बिल में संशोधन कर जमानत देने का विकल्प जोड़ा है। इस बिल में मुस्लिम महिला को भत्ते और बच्चों की परवरिश के लिए खर्च को लेकर भी प्रावधान किया गया है। इसके तहत मौखिक, टेलिफोनिक या लिखित किसी भी रूप में एक बार में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया गया है।
कांग्रेस ने अध्यादेश लाने पर मोदी सरकार की निंदा की है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि मोदी सरकार इस अध्यादेश के जरिए मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा और उनका कल्याण नहीं कर रहे हैं बल्कि वो इसा अपना चुनावी मुद्दा बनाकर भाजपा का कल्याण करना चाह रहे हैं। उधर, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर पलटवार किया है और कहा है कि सोनिया गांधी एक महिला होते हुए भी मुस्लिम महिलाओं के मर्म को नहीं समझ पा रही हैं और इसे वोट बैंक की राजनीति के रूप में इस्तेमाल करना चाह रही हैं।