बैंकों को पलीता लगाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। हीरा कारोबारी नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक को चूना लगाने के बाद लगातार ऐसे मामले आते जा रहे हैं। नया मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के साथ ही सात अन्य बैंकों के एक कंसोर्टियम से जुड़ा है। टॉटेम इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने आठ बैंकों के समूह से कुल 1,394.43 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। 30 जून, 2012 में इसे एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) घोषित कर दिया गया था। यूबीआई की इंडस्ट्रियल ब्रांच ने टॉटेम इंफ्रा को अकेले 313 करोड़ रुपये का लोन दिया था। यूबीआई ने गुरुग्राम स्थित कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर सलालिथ टॉट्टेमपुड़ी और कविता टॉट्टेमपुड़ी के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दी थी। जांच एजेंसी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर से पूछताछ की जा रही है। बता दें कि कंपनी द्वारा कर्ज की अदायगी न करने पर इनको दिए लोन को एनपीए में डाल दिया गया था।
Total loan outstanding was Rs 1394.43 crores. Loan was taken from 8 consortium bank including Union bank of India. It was declared a non-performing asset (NPA) on 30th June 2012. CBI is questioning the promoter and director of Totem infrastructure Ltd.
— ANI (@ANI) March 22, 2018
मालूम हाे कि पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद वित्तीय फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आ चुके हैं। दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, महराष्ट्र और तमिलनाडु से विभिन्न कंपनियों द्वारा बैंकों को चूना लगाने का मामला सामने आ चुका है। दिल्ली स्थित द्वारका दास सेठ इंटरनेशनल द्वारा ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ 390 करोड़ रुपये के हेरफेर का मामला सामने आया था। वहीं, तमिलनाडु में कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर भूपेश कुमार जैन द्वारा 13 बैंकों को 824 करोड़ रुपये का चूना लगाने का मामला सामने आ चुका है। बैंकों के कंसोर्टियम की अगुआई एसबीआई ने की थी। भूपेश ने बैंक अधिकारियों को पत्र लिखकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर लोन लेने की बात भी स्वीकार की थी। शुरुआत में उन्होंने आठ बैंकों को ब्याज का भुगतान नहीं किया था। बाद में सभी 13 बैंकों का भुगतान रोक दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भूपेश पत्नी नीता जैन के साथ मॉरिशस में हैं। एसबीआई ने 25 जनवरी को भूपेश और उसकी पत्नी नीता के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दी थी। इससे पहले एसबीआई ने उनके खातों को फर्जी करार दे दिया था। बाद में सभी बैंकों को यह कदम उठाना पड़ा था। आरबीआई को भी इसकी सूचना दी गई थी।

