सर्वेश कुमार
नकद लेनदेन में दिक्कतों से दूर, महज दो सेकेंड से भी कम वक्त देश में यूपीआइ के जरिए भुगतान की सुविधा का लोग बढ़ चढ़कर इस्तेमाल भी कर रहे हैं। भुगतान के दूसरे डिजिटल विकल्पों पर यूपीआइ की तुलना में कई गुना अधिक वक्त लगता है। अपनी खूबियों की बदौलत यूपीआइ ने फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात सहित दूसरे देशों में भी पांव पसारना शुरू कर दिया है।
देश के किसी भी शहर के अंदर या दूसरे शहरों में भी मोबाइल फोन नंबर के जरिए मौद्रिक लेनदेन में सहूलियतें बढ़ने से सालाना औसतन (2 ट्रिलियन डालर) 164.4 अरब रुपए का कारोबार यूपीआइ के जरिए हो रहा है। 5 जी के बाद अब मोबाइल नेटवर्क को 6 जी तक पहुंंचाने की कवायद तेज होने से यूपीआइ और लंबी उड़ान भरने की तैयारी में है। अगले साल तक एटीएम से भी रुपयों के साथ साथ दूसरे देशों की मुद्रा का भी यूपीआइ से जोड़ने की तैयारी है। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है देश में यूपीआइ को प्रोत्साहन मिलने के बाद तेजी से इसका प्रसार बढ़ा है।
देश के सभी वर्ग के लोगों के लिए डिजिटल लेनदेन का बराबरी से लाभ मिलना चाहिए। इसके लिए इस क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार की पहल के बाद निजी सार्वजनिक क्षेत्र की साझेदारी से यूपीआइ को नई रफ्तार मिली। यूपीआइ प्लेटफार्म पर भारत तेजी से बढ़ रहा है आगे ई कामर्स में भी बढ़ चढ़कर इसका इस्तेमाल होगा। फिलहाल देश में 35 करोड़ उपयोगकर्ता हैं।
दो साल में यूपीआइ से रोजाना एक अरब लेनदेन का अनुमान
प्राइस पवाटर कूपर (पीडब्लूसी), इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल भुगतान में क्रांति लाने वाले यूपीआइ की मदद से लेनदेन 2026-27 तक बढ़कर सालाना 379 अरब के स्तर पर पहुंच जाएगा। 2022-23 में यह आंकड़ा महज 83.71 अरब था। 2026-27 तक देश में रोजाना करीब एक अरब लेनदेन में यूपीआइ का इस्तेमाल किया जाएगा। दावा है कि यूपीआइ लेनदेन में बढोतरी के साथ इस अवधि तक कुल डिजिटल लेनदेन में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 90 फीसद पहुंच जाएगी।