विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नए सर्कुलर ‘यूजीसी रेगुलेशन (तीसरा संशोधन) 2016’ के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (डूटा) की अगुआई में विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर शुक्रवार को प्रदर्शन किया। शिक्षकों के साथ छात्र संगठनों, राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधियों ने गिरफ्तारियां दी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों को कांग्रेस व आम आदमी पार्टी समेत विभिन्न राजनीति दलों ने समर्थन दिया। माकपा के नीलोत्पल बसु, जद (एकी) के केसी त्यागी और राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह ने धरना स्थल पर शिक्षकों के हक की आवाज उठाई। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी आप ने मानव संसाधन मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप करने और यूजीसी के नए सर्कुलर को तुरंत वापस लेने की मांग के समर्थन में मंत्रालय को पत्र लिखा है। डूटा के साथ सभी शिक्षक संगठन और एडहॉक शिक्षकों के संगठन -दिल्ली यूनिवर्सिटी एडहॉक टीचर्स फोरम, एकेडमिक फोरम फॉर सोशल जस्टिस, समाजवादी शिक्षक मंच, एएडी, डीटीएफ, इंटक, एनडीटीएफ की अगुआई में जबर्दस्त शिक्षक समुदाय उमड़ा और इस अधिसूचना की वापसी के लिए आंदोलन को नई दिशा दे गया।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और संसद मार्ग थाने ले जाने के बाद छोड़ दिया। गिरफ्तारी देने वालों में डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण, पूर्व अध्यक्ष आदित्यनारायण मिश्र, राजीव कुंवर, केदार मंडल, हरीश खन्ना, हंसराज सुमन, विनय कुमार सिंह, राजेश झा, मुकेश मीणा, एसएम महमूद आदि शामिल थे। शिक्षकों ने मानव संसाधन विकास मंत्री या उनके किसी सचिव के न मिलने पर रोष जताया और आरोप लगाया कि वे छात्र हितों से भी खेल रहे हैं।

यूजीसी की अधिसूचना ने विश्वविद्यालय के स्थायी शिक्षकों के काम के घंटे बढ़ा दिए हैं। इसके साथ ही छात्रों का फीडबैक शिक्षकों की प्रोन्नति के लिए अनिवार्य बना दिया गया है। जहां स्थायी शिक्षक काम के अतिरिक्त दबाव से चिंतित हैं वहीं एडहॉक शिक्षक छंटनी के खतरे की आशंका से हताश हैं। शिक्षकों ने कहा कि एपीआइ व्यवस्था (प्रोमोशन नीति) तर्कसंगत नहीं है क्योंकि शिक्षा की गुणवत्ता का आधार घंटों की गिनती से नहीं बल्कि उनसे जुड़े तमाम प्रयासों से ही की जा सकती है।

साथ ही आशंका जताई कि लगभग 50 फीसद ऐसे बेरोजगार शिक्षक या तो अनुसूचित जाति-जनजाति व पिछड़े वर्ग और विकंलाग वर्ग के होंगे। इससे केंद्र्रीय सरकार के आरक्षण को खत्म करने का छिपा हुआ चेहरा साफ झलकता है। शिक्षकों ने उच्च शिक्षा में 55 फीसद बजट कटौती की भी निंदा की। यह बजट 9315 करोड़ से घटा कर 2016-17 में 4286 करोड़ कर दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि यूजीसी की राजपत्रित अधिसूचना (तृतीय संशोधन विनियम 2016) बजट में की गई कटौती के मकसद को पूरा करने के लिए लाई गई है। 5000 पद दिल्ली विश्वविद्यालय से और एक लाख पद पूरे देश में खत्म किए जाने की साजिश है। एडहॉक शिक्षकों पर बेरोजगारी का खतरा मंडराने लगा है।