यमुना को प्रदूषणमुक्त करने के लक्ष्य से केन्द्र सरकार द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना को उत्तर प्रदेश में लागू करने के लिए ‘बुआ’ उमा भारती अपने ‘भतीजे’ प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से महज 15 मिनट का समय मिलने का इंतजार कर रही हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक इस कार्ययोजना के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया है और इस कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
वृन्दावन स्थित ठाकुर बांकेबिहारी एवं कात्यायिनी देवी के दर्शन के लिए रविवार (8 मई) को यहां आईं केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा, ‘‘यमुना नदी की सफायी के लिए तैयार की गई कार्ययोजना का प्रेजेंटेशन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए मेरे मंत्रालय के अधिकारी तीन महीने से समय मिलने का इंतजार कर रहे हैं। यह बड़ी विडंबना है।’’
उमा ने कहा, ‘‘मैं राजनीति के लिहाज से यह नहीं कह रही। गंगा-यमुना के मुद्दे पर मैं राजनीति नहीं करूंगी। मुझे तो पहले ही लोकसभा व राज्यसभा के सभी 790 सदस्यों ने इस मसले पर पूरा समर्थन देने का वादा किया है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार से जो अपेक्षा थी, पूरी नहीं हुई। उल्टे यहां तो दिल को धक्का लगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी टीम जब सपा मुखिया मुलायम सिंह से मिली थी तो उन्होंने खुद गंगा हाथ में लेकर कहा था कि कह देना उमा भारती से हम हर मुद्दे पर लड़ेंगे, लेकिन इस मुद्दे पर कोई मनभेद नहीं होगा। हम उनके साथ हैं। लेकिन अब उल्टा हो रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो वैसे भी मुलायम सिंह की छोटी लाडली बहन हूं। अखिलेश की बुआ हूं। वे इस मामले में राजनीति ना करें। पिछले सात दिनों से अधिकारी समय मांग रहे हैं। योजना का प्रारूप जल्दी देख कर अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दें तो काम शुरू हो।’’
उमा ने कहा, ‘‘दिल्ली में शनिवार को काम शुरू हो गया, और झारखंड में सोमवार को शुरूआत करने जा रही हूं। मेरा प्रयास है कि अब दिल्ली का मल-मूत्र यमुना में बहते हुए वृन्दावन और मथुरा तक ना पहुंचे। केवल यमुना नदी का ही अपना जल यहां तक पहुंचे। वह भी पूरी तरह स्वच्छ-शुद्ध होकर।’’
केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा, ‘‘20 हजार करोड़ रुपए की ‘नमामि गंगे’ परियोजना में से 825 करोड़ रुपए मथुरा-वृन्दावन में इस योजना पर खर्च किए जाएंगे। 500 शवदाह गृह तथा हजारों घाट बनाए जाएंगे। बहुत काम होना है। इसलिए इस योजना में प्रदेश सरकार का जल्द सहयोग अपेक्षित है।’’
उन्होंने बताया, ‘‘योजना पूरी तरह से केन्द्र वित्त पोषित है, प्रदेश सरकार को अपने कोष से इसके लिए एक नया पैसा नहीं देना होगा। इससे राज्य का धन बचेगा और केंद्र का समय।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस निर्णय से प्रधानमंत्री ने तीन वर्ष का समय बचाया है।’’
उमा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में दिल्ली के समान ही पुराने जल-मल शोधन संयंत्र ठीक कराने, नए स्थापित करने, ठोस कचरे को यमुना में जाने से रोकने तथा नदी की गंदगी को टैश स्किमर से निकालना आदि कामों पर विशेष जोर दिया जाएगा।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मथुरा में तो गंदे नालों तथा सीवर के उपचारित जल को भी यमुना में नहीं छोड़ा जाएगा। यहां तो इस प्रकार निकलने वाले पानी का काफी बड़ा हिस्सा मथुरा के तेलशोधक कारखाने को बेच दिया जाएगा। इसके लिए रिफाइनरी से एग्रीमेण्ट भी हो गया है और शेष जल खेती में काम आएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सोमवार (9 मई) को झारखण्ड में गंगा सफाई अभियान शुरू करने जा रही हूं। वहां गंगा किनारे बसे 38 ग्राम पंचायतों के 100 गांवों तथा दो क्षेत्र पंचायतों, राजमहल तथा साहबगंज में योजना की शुरुआत होगी। इसकी लंबाई करीब 80 किलोमीटर है।’’
उन्होंने बरसाना के संत रमेश बाबा तथा अन्य उन सभी साधु-संतों एवं यमुना भक्तों को एक बार फिर आश्वासन दिया कि वह उनके संकल्प और दिल्ली तक की यात्रा को व्यर्थ नहीं जाने देंगी। उनसे किया गया यमुना शुद्धिकरण का वचन अवश्य पूर्ण करके दिखाएंगी। 2017 में उन्हें यमुना दिल्ली की गंदगी लेकर मथुरा-वृन्दावन की ओर आती दिखाई नहीं देगी।