नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई कर रही ब्रिटिश अदालत के सामने गुरुवार को भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट पेश की गई है। बताया गया है कि जेल में नीरव की हालत ठीक नहीं है। जज को नीरव के परिवार से जुड़े आत्महत्या के इतिहास के बारे में भी बताया गया। साथ ही कहा गया कि अगर उसे आगे जेल में अकेले बंद रखा जाता है, तो उसका मानसिक तनाव और बढ़ सकता है।

लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में मुकदमे की सुनवाई कर रहे जज सैमुएल गूजी के समक्ष मामले की सुनवाई के चौथे दिन बचाव पक्ष ने तीन गवाह पेश किए। तीनों ने 49 वर्षीय व्यापारी के गंभीर अवसाद से ग्रस्त होने, कोविड-19 के खतरे और मुंबई के ऑर्थर रोड जेल में सुविधाओं की कमी पर अपनी विशेषज्ञ राय दी। पिछले साल सितंबर से इस साल अगस्त तक चार बार नीरव की जांच कर चुके फॉरेंसिक साइकाएट्रिस्ट डॉक्टर एंड्यू फॉस्टर ने कहा कि नीरव मानसिक तनाव में है और उसके आत्महत्या जैसे कदन उठाने का जोखिम भी है। बता दें कि भगोड़े हीरा कारोबारी के मुकदमे की सुनवाई पांच दिन तक चलनी है।

बता दें कि अगर नीरव को भारत लाया जाता है तो उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा जाएगा। इस पर भारत की तरफ से पक्ष रख रही क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा कि आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 नीरव मोदी के लिए लंदन की वांड्सवर्थ जेल से बेहतर है। फिलहाल नीरव को यहीं रखा जा रहा है।

बता दें कि नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी पीएनबी घोटाले में आरोपी हैं। इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि नीरव मोदी ने 6498 करोड़ और मेहुल चोकसी ने 7080 करोड़ रुपए का गबन किया। दोनों आरोपी सीबीआई जांच शुरू होने से पहले ही साल 2018 में विदेश चले गए थे।