विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक नोटिस में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों सहित भारत में सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (HEI) के दीक्षांत समारोह और अन्य विशेष अवसरों पर खादी पहनने को कहा है। खादी को ‘स्वतंत्रता की वर्दी’ कहते हुए यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से इस दिसा में जरुरी कार्रवाई भी करने को कहा है। शिक्षण संस्थानों को भेजे गए नोटिस में यूजीसी ने कहा, ‘खादी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए खादी/ हथकरघा कपड़े को अपनाने के लिए उचित करार्वाई करें।’
एक बयान में यूजीसी ने कहा, ‘खादी और अन्य हथकरघों के उपयोग से ना सिर्फ भारतीय होने का गौरव मिलेगा बल्कि गर्म और आर्द्र वातावरण में भी यह आरामदायक होगा। उल्लेखनीय है कि शिक्षण संस्थानों को भेजे नोटिस में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में खादी कपड़े के उपयोग को एक हथियार के रूप में भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया कि ‘खादी और हथकरघा कपड़े ना सिर्फ हमारी संस्कृति और विरासत का एक अभिन्न अंग हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी देते हैं।’
बता दें कि पिछले साल इसी तरह का कदम उठाते हुए मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने देशभर में सभी विश्वविद्यालयों से महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में ब्रिटिश-प्रेरित कपड़े की जगह दीक्षांत समारोह में खादी कपड़े पहने को कहा था। तब एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती का उत्सव इस दो अक्टूबर (2018) से शुरू होगा और अगले साल के दो अक्टूबर (2019) तक चलेगा। गांधी जी की विरासत देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गांधी ने देश के समूचे विषय पर मार्गदर्शन किया व सत्य, अहिंसा, स्वदेशी और ग्रामीण जीवन से भारतीयों को जोड़ा।’
वीडियो संदेश में जावड़ेकर ने आगे कहा, ‘गांधी ने खादी के बारे में बहुत आस्था जताई थी। वो इसे रोजगार के रूप में देखते थे। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की पहल से खादी कि बिक्री पिछले तीन-चार सालों में तीन गुना तक बढ़ गई है। इसलिए मैं अपील करता हूं कि भारतीय विश्वविद्यालय अपने दीक्षांत समारोह में ब्रिटिश प्रेरित कपड़ों के बजाय परंपरागत भारतीय कपड़े पहनें। विश्वविद्यालय अपने छात्र-छात्राओं से कह सकते हैं कि डिजाइन विकल्पों के साथ आएं या एचआरडी मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए कुछ डिजाइन को अपना सकते हैं।’
