Udhaynidhi Stalin New Controversy: अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने अब भाषा को लेकर विवादित बयान बात कही है। उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि पूरे भारत में क्षेत्रीय सिनेमा की स्थिति को देखें। क्या उत्तर भारत के किसी भी राज्य में किसी अन्य भाषा का फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की तरह जीवंत है? इसका जवाब बिल्कुल नहीं है।
उदयनिधि स्टालिन ने कहा है कि उत्तर में बोली जाने वाली लगभग सभी भाषाओं ने हिंदी को रास्ता दे दिया है, उन्होंने भाषाई पहचान की रक्षा में दक्षिणी सिनेमा की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया, कैसे तमिल, मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ सिनेमा स्वतंत्र रूप से पनपे और जीवंत फिल्म उद्योगों के रूप में जीवित रहे, जबकि उत्तर में, केवल हिंदी फिल्में ही बॉलीवुड में जगह पाती हैं।
दक्षिण और उत्तर भारत की फिल्मों पर आया बयान
कोझिकोड में कला और साहित्य महोत्सव मनोरमा हॉर्टस में संबोधन के दौरान उदयनिधि ने सिनेमा की ताकत पर जोर दिया और कहा कि यह मनोरंजन से कहीं ज्यादा है। उन्होंने तर्क दिया कि दक्षिण भारत में यह सांस्कृतिक संरक्षण और प्रतिरोध का एक साधन है ,जो उत्तरी राज्यों में हिंदी के प्रभुत्व के बिल्कुल विपरीत है।
उदयनिधि ने किया द्रविड़ आंदोलन का जिक्र
द्रविड़ आंदोलन की उत्पत्ति और भाषाई और सांस्कृतिक पहचान के लिए संघर्षों की विस्तार से व्याख्या करते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि द्रविड़ आंदोलन ने हिंदी के प्रभुत्व का विरोध किया और किस प्रकार हिंदी ने उत्तरी राज्यों में स्थानीय भाषाओं को अपने में समाहित कर लिया।
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दक्षिण भारत की फिल्मों को सराहा
उदयनिधि ने कहा कि यह एम करुणानिधि की प्रसिद्ध फिल्म, पराशक्ति थी, जिसने तमिल सिनेमा जगत की स्क्रीन भाषा को नया रूप दिया। इसी तरह, केरल में भी हमारा उद्योग फल-फूल रहा है। वास्तव में, मुझे हाल के दिनों में बनी अधिकांश मलयालम फिल्में पसंद हैं। इसी तरह तेलुगु और कन्नड़ फिल्म उद्योग भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
उत्तर में नहीं है क्षेत्रीय भाषाओं की बड़ी फिल्म इंडस्ट्री
उदयनिधि ने उन्हें सुनने आई जनता से कहा कि क्या उत्तर भारत के किसी भी राज्य में दक्षिण भारत की तरह कोई अन्य भाषा बोलने वाली फिल्म इंडस्ट्री है? इसका जवाब है ‘नहीं’। उत्तर भारत के राज्यों में बोली जाने वाली लगभग सभी भाषाओं ने हिंदी को जगह दे दी है।
उन्होंने उत्तर भारत की इंडस्ट्री को लेकर कहा कि उनके पास केवल हिंदी फिल्में हैं – बॉलीवुड – और मुंबई अब बड़े पैमाने पर, मराठी और भोजपुरी नहीं बल्कि केवल हिंदी फिल्में ही बना रहा है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बॉलीवुड की तुलना में बहुत महत्व दिया गया है।