महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाडी (MVA) की करारी हार हुई है। अब गठबंधन के बीच सुगबुगाहट शुरू हो गई है। ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता उद्धव ठाकरे पर MVA से अलग हो जाने का दबाव बनाने लगे हैं। इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि सोमवार को उद्धव ठाकरे के साथ हुई बैठक में 20 शिवसेना (UBT) विधायकों ज़्यादातर ने अनुरोध किया है कि उन्हें अब MVA से अलग हो जाना चाहिए।  

सूत्रों ने कहा कि शिवसेना (UBT) का जमीनी कैडर बिखर गया है और विधानसभा चुनावों में एकनाथ शिंदे की सेना के साथ नज़र आया है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक यह भी सामने आ रहा है कि उद्धव ठाकरे के साथ-साथ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता जैसे आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सांसद संजय राउत भाजपा के खिलाफ एकजुट विपक्ष पेश करन के लिए गठबंधन बनाए रखने के इच्छुक हैं।

क्या जानकारी है?

महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमारे कई विधायकों का मानना ​​है कि शिवसेना (यूबीटी) के लिए स्वतंत्र रास्ता अपनाने, अपने दम पर चुनाव लड़ने और किसी गठबंधन पर निर्भर न रहने का समय आ गया है। शिवसेना का कभी भी सत्ता के पीछे भागने का इरादा नहीं था। यह (सत्ता) स्वाभाविक रूप से तब आएगी जब हम अपनी विचारधारा पर अडिग रहेंगे।”

शिवसेना (UBT) को लगातार लग रहे झटके

शिवसेना (UBT) के लिए विधानसभा चुनाव के नतीजे सबसे बड़ा झटका थे, जिसमें एमवीए की 46 सीटों (सेना-यूबीटी की 20, कांग्रेस की 16 और एनसीपी-एसपी की 10 सीटों सहित) की संख्या शिंदे सेना की संख्या से कम थी। सेना (यूबीटी) को 9.96 फीसदी वोट मिले, जो शिंदे सेना से लगभग 3 फीसदी कम है। यह छह महीने पहले के लोकसभा नतीजों मुकाबले बहुत बढ़ी गिरावट है। जब शिवसेना (यूबीटी) को 16.72 फीसदी वोट मिले थे।

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अब शिवसेना (यूबीटी) नेताओं का मानना ​​है कि एमवीए को छोड़कर अकेले चलना ही पार्टी के लिए अपने आधार से जुड़ने और इसे शिंदे सेना की ओर जाने से रोकने का एकमात्र तरीका है। हाल ही में हुए चुनावों में हारे एक सेना (यूबीटी) उम्मीदवार ने कहा, “सेना ने हमेशा मराठी क्षेत्रवाद और हिंदुत्व को बढ़ावा दिया है। कांग्रेस और एनसीपी का झुकाव ज़्यादा धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी है। भाजपा की शानदार सफलता को देखते हुए, जिसका श्रेय कई लोग हिंदू वोटों के एकीकरण को देते हैं, कांग्रेस और एनसीपी को समायोजित करने के लिए हिंदुत्व के प्रति झुकाव कम होने को लेकर सेना (यूबीटी) के भीतर चिंता बढ़ रही है।”

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