Udaipur Files Controversy: उदयपुर के टेलर की हत्या की घटना पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स का ट्रेलर जारी हुआ तो बड़ा विवाद हो गया है। इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की तेज हो गई है। इस फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान भी शामिल है। नूपुर के इस बयान के चलते ही बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। वहीं फिल्म पर रोक लगाने के लिए मामला कोर्ट में चला गया है।
दरअसल, उदयपुर फाइल्स की रिलीज को रोकने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली, मुंबई और गुजरात की हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। इस याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, जानी फायर फॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक्स कॉर्प्स को पार्टी बनाया है, जो कि फिल्म के निर्माण और वितरण से जुड़े हैं।
मौलाना अरशद मदनी ने उठाई मांग
‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक्स पर लिखा कि फिल्म के ट्रेलर में नुपुर शर्मा का विवादित बयान भी शामिल है, जिससे न केवल देशभर में सांप्रदायिक माहौल खराब हुआ, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी खराब हुई और दूसरे देशों के साथ हमारे संबंधों पर भी नकारात्मक असर पड़ा। इसके बाद बीजेपी को नुपुर को पार्टी से निकालने पर मजबूर होना पड़ा था।
‘छवि खराब करने की कोशिश’
जमीयत के अनुसार उदयपुर फाइल्स जैसी नफरत फैलाने वाली फिल्म समाज में भाई चारे के खिलाफ हैं। मौलान अरशद मदनी ने कहा है कि फिल्म के जरिए एक वर्ग विशेष और धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों की छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई है। उन्होंने आश्चर्य जताया है कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को मंजूरी कैसे दे दी। मदनी ने यह भी कहा कि फिल्म को स्वीकृति देना दर्शाता है कि इस फिल्म के पीछे कुछ ताकतें और लोग हैं, जो एक विशेष समुदाय की छवि खराब करके देश की बहुसंख्यक आबादी के बीच उनके खिलाफ जहर फैलाना चाहते हैं।
मदनी बोले- सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान
मौलाना मदनी ने कहा कि फिल्म का 2 मिनट 53 सेकंड का जो ट्रेलर जारी किया गया है, वह ऐसे डायलॉग्स और दृश्यों से भरा है जो देश में सांप्रदायिक सौहार्द को नुक़सान पहुंचा सकते हैं। फिल्म में 2022 में उदयपुर में हुई एक घटना को आधार बनाया गया है लेकिन ट्रेलर से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि फिल्म का मकसद एक विशेष धार्मिक समुदाय को नकारात्मक और पक्षपाती रूप में पेश करना है, जो उस समुदाय के लोगों के सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
मौलाना मदनी ने कहा है कि हमने इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए क़ानूनी लड़ाई का रास्ता चुना है और सेंसर बोर्ड को भी इसमें एक पक्षकार बनाया है, क्योंकि उसका अपराध उन लोगों से कम नहीं है, जिन्होंने इस घृणित फिल्म को बनाया है।
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