Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की जोरदार वकालत की थी। इसके बाद देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कांग्रेस समेत कई दलों के नेताओं ने UCC को लेकर सवाल भी खड़े किए हैं। अब इसी कड़ी में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध जताया है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शनिवार को ‘समान नागरिक संहिता के विचार’ को अनावश्यक बताया। कमेटी ने विरोध करते हुए कहा कि इसके (UCC) अमल में लाने से देश में अल्पसंख्यक समुदायों की एक अलग पहचान को नुकसान पहुंचेगा। एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि देश में यूसीसी की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि संविधान विविधता में एकता के सिद्धांत को मान्यता देता है। उन्होंने कहा कि यूसीसी को लेकर अल्पसंख्यकों में यह आशंका है कि इससे उनकी विशिष्ट पहचान और धार्मिक सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा।

हरजिंदर सिंह धामी शीर्ष गुरुद्वारा निकाय की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने यूसीसी पर सिख बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों, विद्वानों और वकीलों की एक उप-समिति का गठन किया है और प्रारंभिक समीक्षा के बाद कमेटी ने समान संहिता को अस्वीकार कर दिया है।

इस उप-समिति में एसजीपीसी महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल, वरिष्ठ वकील पूरन सिंह हुंदल, एसजीपीसी सदस्य भगवंत सिंह सियालका, परमजीत कौर लांडरां, किरणजोत कौर, प्रोफेसर कश्मीर सिंह, डॉ. इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, डॉ. परमवीर सिंह और डॉ. चमकौर सिंह शामिल हैं। धामी ने कहा कि एसजीपीसी कार्यकारिणी की बैठक में यूसीसी पर विरोध जताया गया है।

हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि हमारे सिद्धांतों, परंपराओं, मूल्यों, जीवन शैली, संस्कृति, स्वतंत्र अस्तित्व और सिखों की विशिष्ट इकाई को कोई चुनौती दे ऐसे बिल को कभी स्वीकार नहीं किया सकता है। उन्होंने कहा कि सिख मर्यादा (आचार संहिता) को सांसारिक कानून द्वारा परखा नहीं जा सकता। इसलिए, सिख समुदाय यूसीसी का विरोध करता है। धामी ने कहा कि 21वें विधि आयोग ने भी यूसीसी को खारिज कर दिया था।

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

एक देश एक कानून के विचार पर आधारित है समान नागरिक सहिता। यूनिफार्म सिविल कोड आने के बाद देश के सभी धर्म समुदाय के लोगों के लिए एक ही कानून होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और बच्चा गोद लेने आदि को लेकर सभी धर्म और समुदायों के लिए एक समान कानून बनाया जाना है। भारतीय संविधान में आर्टिकल-44 के तहत सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कानून बना सकती है।