साल्मोनेला टाइफी (टाइफाइड के लिए) का पता लगाने के लिए वर्तमान तरीका विस्तृत है, लेकिन अभी भी उतना सही नहीं है। ग्राफिक एरा के बायोटेक्नोलॉजी के प्रमुख और प्रोफेसर नवीन कुमार का कहना है कि हमारे शोध विभाग ने बीमारी का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर आधारित परीक्षण किट विकसित और पेटेंट कराया है।
टेस्टिंग किट सात साल पहले विकसित की गई थी। नवीन कुमार कहते हैं कि इस तरह की विधि की प्रासंगिकता अब बढ़ गई है। उनका कहना है, ” महामारी से पहले, आरटी-पीसीआर का बुनियादी ढांचा व्यापक नहीं था, लेकिन अब यह छोटे शहरों और गांवों में मौजूद है, जहां लोगों की कोविड -19 के लिए टेस्टिंग की जाती है। इसने आरटी-पीसीआर के जरिए अन्य बीमारियों का निदान करने का अवसर प्रदान किया है।”
अन्य तरीकों की तुलना में, आरटी-पीसीआर लगभग पूरी तरह से सटीक है। नवीन कुमार ने कहा कि आरटी-पीसीआर वास्तविक पैथोजन के लिए जांच करता है, अन्य डायग्नोसिस की तुलना में जो एंटीजन या एंटीबॉडी का पता लगाते हैं।
पिछले कुछ दशकों में स्मार्टफोन में विभिन्न उपकरणों और टेक्नोलॉजी के समावेश ने स्वास्थ्य तकनीक के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने का काम किया है। हैदराबाद स्थित Logy.AI ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉल्यूशंस बनाए हैं जो लोगों को अपनी आंखों या दांतों की व्हाट्सएप इमेज एक ऑटोमेटेड मैसेज बॉट को भेजने की अनुमति देते हैं, जो इमेज को एआई इंजन में फीड करता है ताकि समस्या का समाधान निकाला जा सके।
यह स्टार्टअप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित इमेज प्रोसेसिंग मॉडल का उपयोग करने का दावा करता है – व्हाट्सएप संदेश के रूप में भेजी गई आंखों की तस्वीर से कि क्या किसी व्यक्ति को मोतियाबिंद है। स्टार्टअप का कहना है कि भारत में 70 प्रतिशत अंधेपन के लिए यह जिम्मेदार है। लोगों के लिए स्टार्टअप की सर्विस व्हाट्सएप चैटबॉट के माध्यम से दी जाती है, जहां यूजर चैट बॉक्स में अपनी आंखों की एक इमेज भेज सकते हैं और Logy.AI का इमेज प्रोसेसिंग एल्गोरिदम उस इमेज के जरिए यह पता लगाएगा कि उस वयक्ति को मोतियाबिंद है या नहीं।
दो दिनों पहले, दिल्ली के प्रगति मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो 2022 का उद्घाटन किया था। बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो 2022 में 300 से अधिक स्टॉल थे, जिनमें चिकित्सा प्रौद्योगिकी, कृषि तकनीक, निदान, वैक्सीन प्रौद्योगिकी, बायोटेक इनक्यूबेटर आदि थे।