नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (NRC) के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एनआरसी को लेकर जनता दल यूनाइटेड के रुख से पार्टी के कई नेताओं में नाराजगी है। इस मुद्दे पर सीएम पर दबाव बढ़ रहा है।
जदयू के दो विधायकों ने एनआरसी को लेकर बागी रुख अपनाया है। पार्टी के दो विधायक नौशाद आलम और मुजाहिद आलम का कहना है कि यदि बिहार में एनआरसी लागू होता है तो वह पार्टी और विधानसभा दोनों से इस्तीफा दे देंगे। मालूम हो कि नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर पार्टी के उपाध्यक्ष व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी पहले ही नीतीश कुमार को झटका दे चुके हैं।
दोनों विधायकों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि राज्य में किसी भी कीमत पर एनआरसी को लागू नहीं होन दिया जाएगा। मालूम हो कि पिछले कुछ दिनों से नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर जदयू में मतभेद खुलकर सामने आए हैं। इन मतभेदों के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दुविधा और पसोपेश की स्थिति में हैं।
ऐसे में उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि वह किसका साथ दें। बताया जा रहा है कि शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री नीतीश ने अभी तक खुलकर इन दोनों मुद्दों पर कुछ भी नहीं कहा है। दूसरी तरफ भाजपा और गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कहा है कि एनआरसी पूरे देश में लागू होकर रहेगा।
प्रशांत किशोर ने कहा था कि नागरिकता कानून को लेकर पार्टी के रुख के विपरीत अपनी राय रखी थी। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था कि संसद में बहुमत से नागरिकता संशोधन कानून पारित हो गया। न्यायपालिका के अलावा अब 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी है, क्योंकि ये ऐसे राज्य हैं, जहां इसे लागू करना है।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘3 मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने सीएए और एनआरसी को नकार दिया है और अब दूसरे राज्यों को अपना रुख स्पष्ट करने का समय आ गया है।’ इसके बाद जेडीयू महासचिव आरसीपी सिंह ने दो टूक कहा था कि अगर प्रशांत किशोर पार्टी छोड़कर जाना चाहें तो वह इसके लिए स्वतंत्र हैं। सिंह ने पीके पर तंज कसते हुए कहा कि वैसे भी उन्हें अनुकंपा के आधार पर पार्टी में शामिल किया गया था।
