Damini Nath

मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) व चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 3 सदस्यों की कमेटी मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेगी। कमेटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई का पैनल शामिल होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दो पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने कहा कि कोर्ट का फैसला चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के बारे में जनता की धारणा को बढ़ावा देगा। जुलाई 2010 से जून 2012 तक मुख्य चुनाव आयुक्त और जून 2006 से पहले चुनाव आयुक्त रहे एस वाई कुरैशी (S Y Quraishi) ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लंबे समय से लंबित मांग को पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि हम 20 साल से इसकी मांग कर रहे थे। हमें उम्मीद है कि सरकार अदालत की सलाह के अनुसार इसे संसद (Parliament) में ले जाएगी।

ओ पी रावत (O P Rawat), जो 2015 से 2018 तक चुनाव आयुक्त थे और फिर जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक मुख्य चुनाव आयुक्त थे, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेस्ट कोर्स है, जो अदालत ही ले सकती थी। उन्होंने कहा, “सरकार के पास दो विकल्प होंगे, कॉलेजियम के साथ जाना, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, या एक कानून बनाना। किसी भी तरह से सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव होगा। सुप्रीम कोर्ट का आदेश निष्पक्षता और चुनाव आयोग की छवि को और अच्छा करेगा।”

उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग के कामकाज की बात आती है, तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी द्वारा इसकी प्रशंसा की जाती है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला फरवरी 2024 में लागू होगा जब चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे (Election Commissioner Anup Chandra Pandey) का कार्यकाल समाप्त होगा।

सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये तीन सदस्यीय कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति इसपर मुहर लगाएंगे। न्यायालय ने अपने आदेश में साफ कहा कि यह प्रक्रिया तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की चयन प्रक्रिया सीबीआई डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए।