देश जब स्वतंत्र हुआ और भारत से पाकिस्तान अलग हुआ तो कई परिवार एक दूसरे से बिछड़ गए। भाई-भाई से बिछड़ गया तो एक परिवार हिन्दुस्तान तो दूसरा पाकिस्तान में रह गया। ऐसे ही एक बिछड़े हुए भाईयों की जब 74 साल बाद मुलाकात हुई तो दोनों गले लगकर फूट-फूट कर रो पड़े।

दोनों भाई की ये मुलाकात करतारपुर कॉरिडोर में बुधवार को हुई। देश जब आजाद हुआ तब हबीब और सिद्दीक नाम के ये दो भाई बच्चे थे। सिद्दीक अपने परिवार के साथ बंटवारे के समय भारत से पाकिस्तान पहुंच गए। जबकि उनके बड़े भाई हबीब उर्फ ​​शेला भारत में रहे और यहीं पले बढ़े। अब 74 साल बाद पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत से जोड़ने वाले करतारपुर कॉरिडोर ने दोनों भाइयों को फिर से मिला दिया।

दोनों भाईयों की इस मुलाकात का एक वीडियो भी सामने आया है। ये भावुक करने वाला वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो सिद्दीक पाकिस्तान के फैसलाबाद में रहते हैं और शेला पंजाब में रहते हैं। वीडियो में दोनों को एक साथ लिपटते और रोते हुए देखा सकता है।

मिनट मिरर के अनुसार हबीब, सिद्दीक से दो साल छोटे हैं और बंटवारे की लहर के दौरान वो अपनी मां के साथ फुलेवाला गए थे। वहीं बठिंडा में अपने पैतृक गांव पर चरमपंथी भीड़ द्वारा हिंसक हमलों के कारण सिद्दीक और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को पाकिस्तान भागना पड़ा गया था। इसके बाद किसी तरह से दोनों को एक दूसरे के बारे में पता चला और फिर दोनों की मुलाकात करतारपुर कॉरिडोर में हुई।

रिपोर्ट में दोनों भाइयों ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने के लिए दोनों देशों की सरकारों को धन्यवाद किया है। जिससे भारत से पाकिस्तान को सीमा से लगभग पांच किलोमीटर दूर करतापुर तक वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा मिली है। यह सेवा नवंबर 2019 में काफी प्रयासों के बाद चालू हो पाया था।

करतारपुर साहिब कॉरिडोर सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह पाकिस्तान के नरोवाल जिले में स्थित है। यह पंजाब, भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से 3-4 किमी की दूरी पर और लाहौर से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर है। गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष इस स्थल पर बिताए थे।