संसद का मानसून सत्र भारी शोरशराबे और हंगामे के बीच खत्म हो गया है। इस बीच सदन में पक्ष और विपक्ष के रवैए को लेकर टीवी चैनलों पर जोरदार बहस चल रही है। दोनों तरफ के नेताओं और पार्टी के प्रवक्ता सदन में सुचारू रूप से काम नहीं हो पाने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। इस दौरान टीवी चैनल न्यूज-18 इंडिया पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा और कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत एक-दूसरे के व्यक्तिगत आचरण पर बहस करने लगे।

एंकर अमिश देवगन के साथ डिबेट में कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “आप तो बड़े लोग हैं। 35 सौ करोड़ रुपए आपके बैंक एकाउंट में पड़े हैं। जो भारत के स्पोर्ट्स बजट से ज्यादा है, जिसको आपने 240 करोड़ रुपए कर दिया था। आप तो बहुत मालामाल है। 76 परसेंट इलेक्टोरल बांड आपके पास आते हैं। जो पैसा देता है वो आपको ही पता रहता है, ऐसी आपने विधि बनाई है, जो नहीं देता है उसके यहां रेड हो जाती है। सब लोग जानते हैं, लबालब पैसे से भरे हैं आप, हम लोग तो महराजगंज जैसे छोटे शहरों से आते हैं, आप तो बड़े ओएनजीसी के डायरेक्टर वाले बंगलों में रहते हैं आपसे कौन कहां मुकाबला कर सकता है।”

इस दौरान संबित पात्रा भगवान से कुछ प्रार्थना करते नजर आए तो सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बीच में मत बोलिए, इतना बौखलाइए मत, प्रार्थना मुंह बंद करके करिए। अपनी जो चोंच है, उसको बंद करके करिए।

संबित पात्रा ने कहा कि मैं चोंच से बोलता हूं आप कहां से बोलती हैं। ऐसी-ऐसी भाषा आप लाती कहां से हैं? सुप्रिया ने कहा कि आपने अपना रेट पूछा तो मैंने बता दिया। इस पर संबित पात्रा ने कहा कामेडी सर्कस आप बहस करिए, अच्छी भाषा से करिए और आराम से करिए, हम इंटरफियर नहीं करेंगे। अब बोलिए।

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “मैं बहस कैसे भी करूं, कोई भी प्लेकॉर्ड लेकर करूं, मैं आपके बीच नहीं बोलती। क्योंकि मैं तर्कों से बात करती हूं, तथ्यों के आधार पर बात करती हूं, लोग मेरी बात समझते हैं। आप जो फफा, फफी करते हैं लोग समझते हैं कि आप महामूर्ख हैं। आप करते रहिए।”

इस पर संबित पात्रा ने कहा कि मैं कम से कम गालियों का प्रयोग नहीं करता मैडम, कभी गाली नहीं देता हूं। ये चोंच और ये बोलने का अंदाज का मैं प्रयोग नहीं करता हूं।

उनकी बात काटते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सदन लोकतंत्र का मंदिर है, वहां बहस भी होती है, वाकपटुता भी होती है, वाद-विवाद भी होता है। उसी सदन का एक और कर्तव्य है कि जब सरकार सो जाए कुंभकर्ण की नींद तो उसी कुंभकर्ण को जगाने का काम विपक्ष करती है और जनता के मुद्दों को उसे बताती है। उनको जगाना और उनको मुद्दों से अवगत कराना, यह विपक्ष का काम है।

कहा कि यह सरकार अपने दंभ और राजहठ में इतनी चूर है कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हम उन मुद्दों को उठाएंगे चाहे किसान का मुद्दा हो, जिसे हम अंदर और बाहर उठाया है, चाहे राष्ट्र की सुरक्षा का मुद्दा हो चाहे जासूसी के माध्यम से देश से खिलवाड़ करने का मुद्दा हो, हमने उसे उठाया है। सरकार जवाब न देकर यह जता चुकी है कि इनके यहां दाल में कुछ काला है। सरकार के मंत्री बाहर आकर कहते हैं कि यह कोई मुद्दा नहीं है तो हम जान जाते हैं कि उनके लिए मुद्दा क्या है।