कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठन और केंद्र सरकार अब आमने-सामने है। इस बीच कांग्रेस ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए भाजपा से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि कृषि कानून में सुधार का यही मुद्दा कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र में भी था। इसी पर आजतक के टीवी शो में बहस के दौरान एंकर रोहित सरदाना ने कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला से सवाल पूछा। एंकर ने कहा कि भाजपा नेता तो अब कांग्रेस नेताओं के लिए यह कह रहे हैं कि हमारी न सही, पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की तो सुन ले।
सरदाना ने कहा कि भाजपा लगातार कह रही है कि कांग्रेस के घोषणापत्र में बार-बार इन्हीं चीजों (नए कृषि कानून के प्रावधानों) का जिक्र आया है। साथ-साथ वे (भाजपा नेता) आपके समय के मंत्रियों के बयान भी सार्वजनिक कर चुके हैं, जिसमें सरकार का दावा यह है कि आप लोग भी यही सब चाहते थे, फिर अब क्या बदल गया?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसके जवाब में कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है। कांग्रेस के घोषणापत्र का अगर मोदी जी और उनके मंत्रीगण- गोयल और तोमर साहब क्लॉज-11 भी पढ़ लेते। हमने साफ तौर पर लिखा है कि जो अनाज मंडियों की पारिधि 30 से 50 किलोमीटर के बीच में है। किसान को 30 किमी तक अपनी फसल ले जाने में भी दिक्कत है। हमने कहा था कि हम फार्मर मार्केट बनाएंगे, गांव के समूहों में। यानी एपीएमसी ऐक्ट को फार्मर मार्केट का नाम देकर इसे और मजबूत करेंगे। इसे खत्म करने की बात नहीं की गई थी।
सुरजेवाला ने आगे कहा, यह प्रांत का विषय है। केंद्र सरकार आखिर क्यों पूरा कृषि का 25 लाख करोड़ का व्यवसाय पांच उद्योगपतियों के हाथ में देना चाहती है। भाजपा की सरकार इसीलिए ये कानून बना रही है। मेरा सीधा सा कहना है कि क्या कांग्रेस के समय में ऐसा काला कानून बनाया गया? जवाब नहीं में है। क्या कांग्रेस ने एमएसपी दी और 150 प्रतिशत तक दी, जवाब हां में है। मोदी जी आखिर कांग्रेस के कंधे पर बंदूक रखकर गोली क्यों चला रहे हैं। कोई चर्चा करनी है तो किसान संगठनों और संसद में प्रतिनिधियों से करिए और फिर कानून बनाइए।