भारत में कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों की लापरवाही की पोल खुल गई। ऑक्सीजन से हॉस्पिटल बेड्स और जीवनरक्षक दवाओं तक की कमी के बीच विपक्ष ने केंद्र को जमकर घेरा। इसके अलावा कई चर्चित शख्सियतों ने भी सरकार पर निशाना साधा। इनमें न्यूज एंकर रवीश कुमार का नाम भी शामिल है। अपने एक और हमले में रवीश ने बुधवार को फेसबुक पोस्ट के जरिए कहा कि जब महामारी अपनी गति से कुछ समय के लिए ठहर गई है तो प्रोपेगैंडा मास्टर बाहर आने लगे हैं। रवीश ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए कहा, “जिस संकट के लिए वे ख़ुद ज़िम्मेदार है उसकी जवाबदेही स्वीकार करने के बजाए आपके सामने ज़बरन ट्रक ड्राइवर को नायक की तरह पेश कर रहे थे।”
एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार ने कहा, “अप्रैल का महीना लगता है बिना ऑक्सीजन के गुज़रा। हमारी आपकी जानकारी में न जाने कितने लोग आक्सीजन बेड और सिलेंडर खोजते मिले। ऑक्सीजन न मिलने पर कइयों की मौत हो गई। बहुत लोग तो अस्पताल में सप्लाई बंद हो जाने से मर गए। जब लोग मर रहे थे तब यह बहस सुप्रीम कोर्ट में चलने लगी। सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फ़ोर्स बना दिया। लोग तब भी मरते रहे।”
रवीश ने बताया कि 15 अप्रैल और 11 मई के दिन PIB की तरफ से जो दो प्रेस रिलीज़ आईं, उनमें साफ़ साफ़ लिखा गया है कि पिछले साल ही PMO ने ऑक्सीजन के उत्पादन और आपूर्ति को लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी बना दी थी। जिसका नाम EG2 था। कैबनिट सचिव ने कहा है कि सितंबर में ऑक्सीजन की आपूर्ति में दिक़्क़त आई थी। तब मोदी जी ने ख़ुद ऑक्सीजन उत्पादकों से संपर्क कर आवागमन की तमाम दिक़्कतों को दूर की थी। रवीश ने कहा कि इसका साफ मतलब है कि अप्रैल की तरह का न सही लेकिन ऑक्सीजन का संकट पिछले साल सितंबर में आया था और प्रधानमंत्री मोदी ने एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर उसका समाधान किया था।
उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा- “उस दौरान उन्हें पता ही चला होगा कि ऑक्सीजन का संकट दोबारा आ सकता है। या सितंबर की तुलना में अगर कहीं बड़ा संकट आया तो भयानक हो सकता है। कैबिनेट सचिव को बताना चाहिए कि उसके बाद प्रधानमंत्री और EG2 ने ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया। उसका नतीजा क्या यही था कि दिल्ली जैसी जगह में ऑक्सीजन सप्लाई कम हो गई और बत्रा और जयपुर गोल्डन अस्पताल में बिना ऑक्सीजन के ही मर गए। तब तो इसकी जवाबदेही सीधे प्रधानमंत्री और PMO की बनती है। क्योंकि कैबिनेट सचिव की बात से यह तो साबित हो जाता है कि सरकार के लिए ऑक्सीजन की कमी का संकट अचानक और अनजान संकट नहीं था।”
रवीश ने बताया कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत बाकी सभी पहलुओं की निगरानी के लिए गृह मंत्रालय से समिति बनीं। लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति की समिति बनती है PMO से। हमें नहीं पता कि PMO की इस समिति का गृह मंत्रालय के अधीन काम कर रहे तमाम एम्पावर्ड ग्रुप से कोई लेन-देन था या नहीं। या इस EG2 के काम की जानकारी इन्हें नहीं थी।
उन्होंने आगे कहा, “इतना समझ लेंगे तो आप जान जाएंगे कि क्यों प्रधानमंत्री मोदी मन की बात में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले ट्रक ड्राइवर और पायलट से बात कर रहे थे। उन्हें हीरो बना रहे थे। जिस संकट के लिए वे ख़ुद ज़िम्मेदार है उसकी जवाबदेही स्वीकार करने के बजाए आपके सामने ज़बरन ट्रक ड्राइवर को नायक की तरह पेश कर रहे थे। जब आप यह सब कारीगरी समझ जाएंगे तो पता चल जाएगा कि इतने लोग क्यों मरे। क्योंकि यही हो रहा है। ट्रक ड्राइवर से आम जनता को प्रेरित होने की ज़रूरत नहीं है। किसी को प्रेरित होना है तो वह सरकार है। ख़ुद प्रधानमंत्री हैं।