बिहार में इस साल चमकी बुखार (एक्यूट एनसिफेलाइटिस सिंड्रोम- AES) का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में अब तक चमकी बुखार से अब तक 165 बच्चों की मौत हो चुकी है। इतने बच्चों की मौत के बाद ही राज्य सरकार की तरफ से कोई भी नैतिक जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।

वहीं इस साल ही मार्च में ट्यूनिशिया में 24 घंटे के भीतर रहस्यमयी बीमारी से 11 बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद वहां के स्वास्थ्य मंत्री अब्देल-राउफ एल शेरिफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय और स्टेट प्रोसिक्यूटर्स की तरफ से बच्चों के मौत की जांच शुरू कर दी गई थी।

इस बात की आशंका जताई गई थी कि बच्चों की मौत ब्लड के इंफेक्शन के कारण हुई थी। दूसरी तरफ बिहार में बच्चों की मौत के बाद राज्य सरकार की तरफ से नैतिक जिम्मेदार की बात कौन करे, मंत्रियों के गैरजिम्मेदाराना बयान लगातार जारी हैं। शुक्रवार को भी श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में पांच बच्चों ने दम तोड़ दिया।

सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 137 बच्चों की मौत हो चुकी है। राज्य के गोपालगंज जिले में भी एईएस ने दस्तक दे दी है। इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से अपर सचिव मनोज झालानी के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम एसकेएमसीएच पहुंची। उन्होंने पीड़ित बच्चों का निरीक्षण किया। इस टीम ने यहां के डॉक्टरों के साथ भी बातचीत की।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दें इस्तीफाः प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि राज्य में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की मौत इलाज के अभाव में हुई है। उन्होंने कहा कि इस घटना के लिए पूरी तरह से राज्य के साथ ही केंद्र सरकार भी जिम्मेदार है। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

वहीं राज्य के मुख्य विपक्षी दल राजद के नेता तेजस्वी यादव ने पटना एयरपोर्ट पर कहा कि नीतीश कुमार सरकार बीमारी के मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रही है। राज्य में जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक पप्पू यादव ने एईएस से मरने वाले बच्चों के न्याय व पीड़ितों के इलाज को लेकर 25 जून से एसकेएमसीएच में भूख हड़ताल के साथ ही सत्याग्रह करेंगे।