Tripura Election: त्रिपुरा की लड़ाई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है सियासी टक्कर भी उतनी तेज होती जा रही है। पिछले कुछ समय में यहां सियासी समीकरण तेजी से बदले हैं। टिपरा मोथा (TIPRA Motha Party) जो सिर्फ दो साल पहले ही पार्टी बनी थी, आज बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई (एम) जैसे राष्ट्रीय दलों के लिए सीधी चुनौती बनी हुई है। त्रिपुरा के पूर्ववर्ती माणिक्य राजवंश के वंशज के रूप में प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा (Pradyot Kishore Manikya Debbarma) की अपनी व्यक्तिगत अपील पर आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में उभरे हैं। अगर त्रिपुरा में किसी पार्टी के बहुमत नहीं मिलता है तो देबबर्मा किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।
तेजी से बढ़ रहा टिपरा मोथा का जनाधार
बुबगरा (bubagra) के राजा प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा बुधवार को त्रिपुरा के गोमती जिले में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित एक विधानसभा क्षेत्र अम्पीनगर (Ampinaga) के एक मैदान में जनसभा कर रहे थे। इसी दौरान वह माइक पर श्शश… की बोलते हैं और हजारों की भीड़ में सन्नाटा छा जाता है। देबबर्मा की करीब हर रैली में चुप रहने को सोची समझी रणनीति के तहत देखा जा रहा है। आदिवासी समुदाय त्रिपुरा की आबादी का करीब 30 फीसदी है। राज्य की कुल 60 सीटों में से 20 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं।
कैसे बदले समीकरण
त्रिपुरा में 2 साल पहले तक आठ से अधिक आदिवासी दल थे। प्रद्योत के प्रवेश ने लड़ाई को इनमें से दो तक सीमित कर दिया है। मोथा और इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) कई दलबदल और दलबदल के बावजूद टिका हुआ है। बता दें कि 2018 के चुनाव के बाद से दल-बदल, इस्तीफे और विधायकों की मृत्यु की एक श्रृंखला के बाद, 60 सीटों वाले सदन में अब भाजपा के 33 सदस्य हैं। इनमें आईपीएफटी के चार, सीपीआई (एम) के 13 और कांग्रेस के एक सदस्य हैं, बाकी सीटें खाली हैं।
कांग्रेस को मिल सकती है चुनौती
प्रद्योत दो साल पहले कांग्रेस से अलग हुए थे। तब वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे लेकिन 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर मतभेदों को लेकर प्रद्योत ने मोथा की स्थापना की। पार्टी ने ग्रेटर तिप्रालैंड की मांग को लेकर 2021 के आदिवासी परिषद चुनावों में जीत हासिल की। मोथा अब 42 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। प्रद्योत के ‘ग्रेटर तिप्रालैंड’ को पिछले दो साल में त्रिपुरा, मिजोरम, असम और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में रहने वाले आदिवासियों के लिए एक प्रस्तावित राज्य के रूप में पेश किया गया।