त्रिपुरा में एक हिंदू सगंठन ने 23 आदिवासी परिवारों के 96 ईसाई लोगों के हिंदू धर्म में वापसी का दावा किया है। हिंदू जागरण मंच का कहना है कि धर्म-परिवर्तन करने वाले 96 लोग पहले हिंदू ही थे, लेकिन 2010 में प्रलोभन और दबाव डालकर इन्हें इसाई बना दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंदू धर्म में वापसी करने वाले सभी आदिवासी लोग झारखंड और बिहार के रहने वाले हैं और अगरतला से 180 किलोमीटर दूर स्थित कालियाशहर जिला में में बतौर मजदूर काम करते हैं। इस धर्म-परिवर्तन कार्यक्रम से विश्व हिंदू परिषद भी जुड़ी हुई थी।

हिंदू जागरण मंच की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष ने जानकारी दी कि इनमें से अधिकांश लोग चाय बागान में काम करते थे। लेकिन, बागान बंद होने के बाद इन्हें ईसाई संस्थाओं ने धर्म-परिवर्तन के लिए प्रलोभन दिया। हिंदू बने 96 लोग उरांव और मुंडा आदिवासी समुदाय से संबंध रखते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धर्म परिवर्तन करने वाले एक शख्स ने बताया कि वह मजबूरी में ईसाई बना था। लेकिन अब वह अपनी इच्छा से हिंदू धर्म में वापसी कर रहा है।

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मीडिया रिपोट्स में बताया गया है कि विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि धर्म-परिवर्तन लोगों की स्वेच्छा से हुआ है। उन पर पहले ईसाई समुदाय ने धन का लालच देकर दबाव बनाया और फिर उनके साथ बुरा बर्ताव किया। जिसके बाद लोगों ने खुद हिंदू धर्म में वापस आने का फैसला किया।