टीएमसी विधायकों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को दोबारा में पार्टी में शामिल नहीं करने के लिए कहा है। टीएमसी विधायकों ने अपने पत्र में लिखा है कि भगौड़ों को पार्टी में जगह न दी जाए, जो भाजपा में गए हैं उन्हें वहीं रहने दें। 

दरअसल पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के पूर्व टीएमसी अध्यक्ष और इटहार के पूर्व विधायक अमल आचार्य विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। लेकिन अब वे दोबारा से तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं और वे इसके लिए कोलकाता में पार्टी के शीर्ष नेताओं से भी मुलाक़ात कर रहे हैं। बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था।

दोबारा से तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए अमल आचार्य के द्वारा की जा रही कोशिश की जानकारी जैसे ही उत्तरी दिनाजपुर के सातों तृणमूल विधायकों को मिली तो उन्होंने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पार्टी में शामिल नहीं कराने का अनुरोध किया। इटहार के मौजूदा टीएमसी विधायक मोशरफ हुसैन ने द टेलीग्राफ से कहा कि हमें जानकारी मिली है कि अमल आचार्य ने पार्टी में लौटने को लेकर तृणमूल नेतृत्व से संपर्क किया है। हम उन्हें दोबारा से पार्टी में वापस नहीं चाहते हैं। इसलिए हम में से सात विधायकों ने ममता बनर्जी को लिखित में एक अपील भेजी है।

पत्र में लिखा गया है कि अमल आचार्य पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए पार्टी के अंदर गुटबाजी को बढ़ावा देते रहे जिससे पार्टी को कई बार नुकसान उठाना पड़ा, उनपर कई तरह के आरोप भी लगे हैं। उन्होंने चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होकर आपके खिलाफ भी बयानबाजी की। फिलहाल यहां की तृणमूल इकाई में सभी एकजुट होकर काम कर रहे हैं। ऐसे में अगर उन्हें दोबारा से पार्टी में शामिल कराया जाता है तो पार्टी के अंदर कलह का सामना करना पड़ेगा।

एक विधायक ने भी अमल आचार्य के ऊपर गुटबाजी का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में हमारे उम्मीदवारों को हराने की बहुत कोशिश की। अब बीजेपी हार रही है तो वे जिले में राजनीतिक प्रासंगिकता के चलते तृणमूल में वापसी की कोशिश कर रहे हैं। हम पार्टी में ऐसा व्यक्ति नहीं चाहते हैं। बता दें कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में तृणमूल ने उत्तरी दिनाजपुर की नौ विधानसभा सीटों में से सात पर जीत हासिल की थी, जबकि दो सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। लेकिन बाद में भाजपा के दोनों विधायक तृणमूल में शामिल हो गए।